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Reading: क़तर की जेल में बंद भारत के पूर्व नौसैनिकों की सज़ा-ए-मौत हुई कम : विदेश मंत्रालय
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Telescope Times > Blog > Trending News > International > क़तर की जेल में बंद भारत के पूर्व नौसैनिकों की सज़ा-ए-मौत हुई कम : विदेश मंत्रालय
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क़तर की जेल में बंद भारत के पूर्व नौसैनिकों की सज़ा-ए-मौत हुई कम : विदेश मंत्रालय

The Telescope Times
Last updated: December 28, 2023 5:16 pm
The Telescope Times Published December 28, 2023
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External Affairs Ministry
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नई दिल्ली। क़तर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों की सज़ा-ए-मौत को क़तर की अदालत ने कम कर दिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, दहरा ग्लोबल केस मामले में आज क़तर की अदालत का आदेश आया है, जिसमें सज़ा को कम कर दिया गया है। हमें पूरे आदेश का इंतज़ार है। क़तर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी सज़ा पाए लोगों के परिजनों के साथ आज अदालत में मौजूद थे।

बयान के अनुसार, “शुरू से ही हम उन लोगों के साथ खड़े हैं और हम उन्हें कांसुलर और क़ानूनी मदद पहुंचाई जाएगी। हम इस मामले को क़तरी प्रशासन के साथ भी उठाएंगे। ”

यह है मामला

सितंबर 2022 में क़तर सरकार ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को गिरफ़्तार किया था। मार्च में इन पर जासूसी के आरोप तय किए गए थे।

गिरफ़्तार किए गए आठ भारतीय नागरिक नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और क़तर की ज़ाहिरा अल आलमी नाम की कंपनी में काम करते थे।

ये कंपनी सबमरीन प्रोग्राम में क़तर की नौसेना के लिए काम कर रही थी। इस प्रोग्राम का मक़सद रडार से बचने वाले हाईटेक इतालवी तकनीक पर आधारित सबमरीन हासिल करना था।

कंपनी में 75 भारतीय नागरिक कर्मचारी थे। इनमें से अधिकांश भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे। मई में कंपनी ने कहा था कि वो 31 मई 2022 से कंपनी बंद करने जा रही है।

जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार आठ कर्मचारियों को पहले ही बर्ख़ास्त कर दिया गया और उनके वेतन का हिसाब-किताब भी कर दिया गया।

बीते मई में क़तर ने कंपनी को बंद करने का आदेश दिया और इसके लगभग 70 कर्मचारियों को मई 2023 के अंत तक देश छोड़ने का निर्देश दिया।

भारतीय मीडिया और अन्य ग्लोबल मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़, इन पूर्व नौसैनिकों पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर अति उन्नत इतालवी पनडुब्बी को ख़रीदने से संबंधित क़तर के ख़ुफ़िया कार्यक्रम के बारे में इसराइल को जानकारी दी थी यानी इन नौसैनिकों पर इसराइल के लिए जासूसी करने के आरोप भी लगाए जा सकते हैं।

सरकार ने यह भी कहा कि कम की गई सजा की शर्तें अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।

दुबई में CoP28 शिखर सम्मेलन के दौरान कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के कुछ सप्ताह बाद कोर्ट का ये फैसला आया है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत की जानकारी कभी भी सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन ऐसी अटकलें थीं कि पूर्व नौसैनिकों को लेकर चर्चा हुई थी।

जेल में बंद नौसैनिकों में कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और नाविक रागेश गोपकुमार शामिल हैं।

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