मुंबई। The Securities and Exchange Board of India (सेबी) ने public issue लाने की योजना बना रही कंपनियों को सख्त हिदायत दी है कि वो जनता को समझ आने वाली सरल भाषा का प्रयोग करें। सेबी ने प्रस्ताव दस्तावेजों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है और धमकी दी है कि यदि ये संस्थाएं अपने दावों और दावे को सरल भाषा में नहीं रख सकती हैं तो भारी भरकम दस्तावेजों को वापस फेंक दिया जाएगा।
सेबी ने कहा, आम जनता और सरल लोगों को तकनीकी भाषा का पता ही नहीं चलता। ऐसे में लिखित संवाद का अर्थ ही नहीं रह जाता।
6 फरवरी को जारी किया गया पांच पेज का सर्कुलर बाजार नियामक की सामान्य, तीखी घोषणाओं की तुलना में अखबार के संपादकों और पत्रकारों के लिए एक स्टाइल गाइड की तरह लगता है।
यह कंपनियों को मोटे दस्तावेज़ों में खराब लिखित, गूढ़ बकवास को बाहर निकालने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करता है जो निवेशकों को भ्रमित कर देता है।
यहां बताया गया है कि छोटे वाक्यों का प्रयोग करें; सक्रिय आवाज़ को प्राथमिकता दें; निश्चित, स्पष्ट और पारंपरिक शब्दों का प्रयोग करें; लम्बे वाक्य से बचें, और जहां भी आवश्यक हो सारणीबद्ध प्रस्तुति या बुलेट सूचियों का उपयोग करें।
परिपत्र में कहा गया है कि मसौदा दस्तावेज़ स्पष्ट, संक्षिप्त और समझने योग्य होना चाहिए जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
सर्कुलर में कहा गया है कि दस्तावेज़ों में स्पष्ट और संक्षिप्त अनुभाग, पैराग्राफ और वाक्य होने चाहिए। जहां भी आवश्यक हो, उन्हें वर्णनात्मक शीर्षक और उप-शीर्षक रखना चाहिए। अगर लगे कि डिटेलिंग कि ज़रूरत है तो ज़रूर दें।
जहां तक संभव हो, कानूनी और तकनीकी शब्दावली के प्रयोग से बचना चाहिए। यदि उनका उपयोग किया जाना चाहिए, तो इन शर्तों को जारीकर्ता के व्यवसाय/अन्य मामलों को सरल शब्दों में समझाने के लिए स्पष्ट किया जाना चाहिए।