IFTU ने कहा, काले कानून थोपकर नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म करना चाहती है सरकार
IFTU द्वारा श्रमिक वर्ग को संघर्षों को तेज करने के लिए आमंत्रित किया गया
जालंधर। आज इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (IFTU) पंजाब ने तीन नए आपराधिक कानूनों, चार श्रम कोड, निर्माण श्रमिकों की कठिनाइयों, अनुबंध कर्मचारियों और योजना श्रमिकों की मांगों को लेकर स्थानीय देश भगत मेमोरियल हॉल में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया। श्रमिक वर्ग को संघर्षों को तेज करने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस अवसर पर जाने-माने वकील दलजीत सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि औपनिवेशिक कानूनी व्यवस्था को खत्म करने के नाम पर देश को पुलिस राज्य में बदलने के लिए लाए गए नए आपराधिक कानून वास्तव में सिर्फ नए नामों से लाये गये हैं।
वे रूल्ट एक्ट से भी अधिक खतरनाक हैं, जिसे रद्द करने के लिए भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था, अधिकारों के रक्षकों को चुप कराकर और काले कानून थोपकर नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने के फासीवादी हमले के पीछे देश की अनमोल संपत्तियां को इजारेदार पूंजीपतियों और साम्राज्यवादियों को सौंपने की गहरी साजिश है।
IFTU : उन्होंने कहा कि ये कानून संघर्षों से हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने के लिए हैं।
यह कानून उन अंतर्राष्ट्रीय संधियों का भी उल्लंघन है जिन पर भारतीय शासकों ने हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को चुप कराकर और काले कानून थोपकर पुलिस राज्य की ओर बढ़ने की बहुत खतरनाक साजिश है, तीन कृषि कानूनों की तरह सरकार के हालिया फासीवादी हमलों को भी जनशक्ति द्वारा रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग के नेतृत्व में अधिकार चेतना एवं संरक्षण आंदोलन एक नया अध्याय रचेगा।
इस अवसर पर, IFTU पंजाब के अध्यक्ष कुलविंदर सिंह वड़ैच और राज्य सचिव राज सिंह मलोट ने कहा कि चार श्रम संहिताओं से श्रमिकों को अपना संगठन बनाने और अपनी उचित मांगों को हल करने में मदद मिलनी चाहिए। सरकार रैलियां और हड़ताल करने पर प्रतिबंध लगा कर, उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलना चाहती है जो वो नहीं होने देंगे। मोदी सरकार ये श्रम कोड विदेशी कॉरपोरेट्स के हितों की पूर्ति और भारतीय श्रमिकों की श्रम शक्ति को चुराने के लिए लाई गई है, जिसे वापस पाने के लिए श्रमिकों को जमकर संघर्ष करना होगा।
ये कोड श्रमिक वर्ग को संगठित होने, लड़ने से रोकने के उपकरण हैं। उन्होंने कहा कि आज के महंगाई के दौर में संविदा कर्मियों एवं स्कीम वर्करों को बड़े पैमाने पर लूटा जा रहा है, उन्हें जो भी वेतन या पारिश्रमिक मिलता है, उसमें गुजारा करना बहुत मुश्किल है।
पंजाब सरकार का श्रम विभाग निर्माण श्रमिकों की कल्याण योजनाओं को लागू नहीं कर रहा है, जिसके कारण निर्माण श्रमिकों को कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने इस सम्मेलन के माध्यम से नए आपराधिक कानूनों के घातक प्रभावों, श्रम संहिताओं पर हमलों के बारे में बताया। मजदूरों को उनकी आर्थिक लूट से, उनके हक और अधिकार की प्राप्ति के लिए जागरूक किया जायेगा।
इस अवसर पर नेता अवतार सिंह तारी, जुगिंदर पाल गुरदासपुर, जसबीर दीप ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। आज के सम्मेलन में तीन आपराधिक कानूनों को रद्द करने, चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों, अनुबंध कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की मांग की गई।
अन्य माँगों में कार्यस्थलों पर वर्करों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, बुद्धिजीवी मलविंदर सिंह माली के खिलाफ दर्ज केस रद्द कर उन्हें रिहा करना, पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और बस किराए में बढ़ोतरी को वापस लेना, जालंधर और बठिंडा में औद्योगिक घटनाओं में मारे गए मजदूरों के परिवारों को 10-10 लाख रु देने की मांग शामिल है।