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Reading: Jalandhar में कूड़ा उठाने का प्रबंधन सबसे खराब, जगह जगह कचरा
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Jalandhar
Telescope Times > Blog > Cover Story > Jalandhar में कूड़ा उठाने का प्रबंधन सबसे खराब, जगह जगह कचरा
Cover Story

Jalandhar में कूड़ा उठाने का प्रबंधन सबसे खराब, जगह जगह कचरा

The Telescope Times
Last updated: June 28, 2025 3:18 pm
The Telescope Times Published June 28, 2025
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Jalandhar – स्थानीय लोगों के जीवन में परेशानियां बढ़ रही

जालंधर, 28 जून (रीना): शहर में कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। कूड़े के ढेर सड़कों, गलियों और बाजारों में खुलेआम देखे जा सकते हैं, जिससे न केवल बदबू फैल रही है, बल्कि मच्छर, मक्खियों और बीमारियों के कारण स्थानीय लोगों के जीवन में परेशानियां बढ़ रही हैं।

Contents
Jalandhar – स्थानीय लोगों के जीवन में परेशानियां बढ़ रहीJalandhar : नोटिफाइड डंप छोटे वरियाणा बनने लगेJalandhar : एक लाख की आबादी झेल रही बीमारियांJalandhar : एक-एक करके फेल होते गए निगम के प्रोजेक्टवेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्टएक्सपर्ट व्यू – पांच समाधान तत्काल

कूड़ा-कर्कट और गंदगी जिससे की आज के समय में हर कोई परेशान है चाहे वह सड़क पर पड़ा कूड़ा हो या गली-मोहल्ले का। यहां परेशान हर कोई है लेकिन सवाल यह उठता है कि यह कूड़ा फैलाता कौन है? इस सवाल का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह सब को पता ही है।

अगर हम आंकड़ों की बात करे तो एक दिन में लगभग 500 टन कूड़ा निकलता है जिसमें एक व्यक्ति के द्वारा करीब 150 टन कूड़ा निकाला जाता है। यदि एक दिन में 500 तन कूड़ा निकाला जाता है तो आप इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि अब तक कितना कूड़ा इकट्ठा हो चुका है जिसका क्या करना है यह बस एक सोच बनकर ही रह गया है। सरकार द्वारा इसके लिए कई प्रयास किया जा रहे हैं।

लोगों में गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग रखने के प्रति जागरूकता भी फैलाई जा रही है। लेकिन लोग इसे केवल एक या दो दिन तक याद रखते हैं और कार्य करते हैं और उसके बाद फिर से वही अपनी पुरानी दिनचर्या में आ जाते हैं। सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं अलग-अलग जगह पर प्लांट लगाए जा रहे हैं लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है लेकिन यह काम केवल सरकार के सोने या उनके केले के करने से नहीं होगा बल्कि जब तक शहर का हर एक व्यक्ति है खुद नहीं सोच लेता कि वह इसके लिए कार्य करेगा तब तक यह कार्य मुश्किल है।

Jalandhar, Kishanpura

प्रयास

1. स्वच्छ भारत अभियान
2. गीला और सूखा कूड़ा अलग करने का अभियान
3. सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध और जागरूकता अभियान
4. स्कूलों और कॉलोनियों में स्वच्छता जागरूकता अभियान

बदनुमा दाग बन गया है वरियाणा डंप

Jalandhar: पिछले 40 साल से शहर का एकमात्र वरियाणा डंप एक बदनुमा दाग बन गया है। कूड़े के इस पहाड़ की ऊंचाई 50 फीट से ज्यादा हो गई है। यह पहाड़ 16.5 एकड़ से भी ज्यादा जगह में फ़ैला हुआ है। पहले यह 14 एकड़ में था। जब कूड़ा फेंकने के लिए जगह खत्म हो गई तो निगम ने ढाई एकड़ जमीन और खरीदी। निगम के आंकड़ों के मुताबिक यह 8 लाख मीट्रिक टन से भी अधिक हो चुका है।

Jalandhar, Wariyana

Jalandhar : नोटिफाइड डंप छोटे वरियाणा बनने लगे

जगह की किल्लत से मेन डंप पर कूड़ा फेंकना कम कर दिया। इससे शहर में नोटिफाइड डंप अब छोटे वरियाणा का रूप लेने लगे हैं।  धीरे-धीरे गैर नोटिफाइड डंपों की गिनती बढ़ती जा रही है। नेशनल हाईवे के आसपास कूड़ा फेंका जा रहा है। शहर के बाहरी इलाकों में बनी नई कालोनियों में तो खुले प्लाट और खाली पड़ी जमीन डंप साइट बन गई है।लोगों को जहां पर भी खाली जगह दिखाई देती है वह अपना कूड़ा वहां फेक देते है।

Jalandhar : एक लाख की आबादी झेल रही बीमारियां

वरियाणा डंप के आसपास बसी कालोनियों, गांव के लोग बीमारियां झेल रहे हैं। यहां की न सिर्फ हवा जहरीली हो गई है बल्कि जमीन के नीचे का पानी भी दूषित हो गया है। कालोनियों में दूषित पानी की सप्लाई की वजह बीमार होने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। डंपसाइट पर यह इंतजाम रखना होता है कि कूड़े से निकलने वाला गंदा पानी जमीन के नीचे न जाए और इसके लिए डंप पर कूड़ा फेंकने से पहले एक शीट बिछाई जाती है।

Jalandhar, Lassuri Mohalla

लेकिन वरियाणा डंप पर ऐसा कोई इंतजाम नहीं है। डंप के निकट की कालोनियों के लोगों में चमड़ी रोग काफी है। शाम के बाद जब आक्सीजन लेवल कम होता है तो बदबू तेजी से फैलती है।डंप से जमीन में जा रहा गंदा पानी ही जमीन को खराब कर रहा है। जिसके कारण   वरियाणा के आसपास के लगभग 25 कालोनियां बंद हो गई।

Jalandhar : एक-एक करके फेल होते गए निगम के प्रोजेक्ट

वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पिछले 20 साल में जितने भी प्रोजेक्ट बनाए या कोशिश की थे, वह सभी नाकाम रहे। ग्रो मोर कंपनी 18 साल पहले वरियाणा डंप पर कूड़े से खाद बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। शुरू में प्रोजेक्ट अच्छा चला। यहां से बनने वाली खाद की डिमांड भी रही लेकिन धीरे-धीरे यह प्रोजेक्ट फेल हो गया। निगम खाद को पीएयू लुधियाना से पंजीकृत नहीं करवा पाया। इसे हिमाचल प्रदेश में भी नहीं बेच पाया। कंपनी चली गई। कंपनी की मशीनरी भी कूड़े के नीचे दब चुकी है।

वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट

ग्रो मोर के बाद 13 साल पहले जमशेर में वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट के तहत कूड़े से बिजली और गैस बनाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। जिंदल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को हायर किया। कंपनी कामर्शियल यूनिट से कूड़ा इकट्ठा करने लगी। जमशेर में प्लांट लगाया जाना था लेकिन कूड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया। सरकार को यह प्रोजेक्ट रद करना पड़ा।

एक्सपर्ट व्यू – पांच समाधान तत्काल

1. रोज निकल रहे कूड़े को गीला और सूखा अलग करने के लिए लोगों को तैयार करें।
2. घरों से गीला कूड़ा अलग लेकर इसे पिट्स में डाल खाद बनाएं। और पिट्स बनाएं।
3. बड़े संस्थानों से निकलने वाले कूड़े को उन्हीं के परिसरों में खाद में बदलने को प्रेरित करें।
4. डंप पर जमा पुराने कूड़े को खत्म करने के लिए बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट में तेजी लाना।
5. सड़कों के किनारे डंप खाली करवाना। डंप नहीं दिखेंगे तो लोग भी जागरूक होंगे।

Jalandhar, Nakodar Chowk

नगर निगम अफसरों ने वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर देश में कई शहरों के दौरे किए हैं। जहां पर अच्छा काम हो रहा है वहां का काम देखने के लिए अफसर कई बार गए पर, यह दौरा केवल दौरे तक सीमित रह गया।

तमिलनाडु के शहर कुंभकोणम 4 लाख टन  कूड़ा था । जिसे बायो माइनिंग के द्वारा 1 साल में खत्म किया गया। कुंभकोणम ने देश में पहला बायोरेमेडिएशन साइट शुरू किया, जहां लैंडफिल से कचरे को साफ करने के लिए बायोमाइनिंग का उपयोग किया गया। 

Jalandhar, Qaji Mandi
Jalandhar, Nakodar Chowk

https://telescopetimes.com/category/trending-news/national-news

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