KARTARPUR-KISHANGARH ROAD : गांव तक की सड़क बुरी तरह टूटी, 50 गांवों के लोग परेशान
KARTARPUR-KISHANGARH ROAD प्रशासन और नेता नहीं दे रहे ध्यान, गिर कर कई लोग हो चुके हैं जख्मी
करतारपुर । करतारपुर से किशनगढ़ गांव (KARTARPUR-KISHANGARH ROAD) तक जाने वाली सड़क बुरी तरह टूटी हुई है। मुस्तापुर और अन्य 50 गांवों के लोग इस सड़क का प्रयोग करते हैं, वो परेशान हैं कि सालों से ये सड़क नहीं बनाई जा रही है। ये सड़क कई गांवों के लिए लिंक रोड का काम करती है। सड़क बुरी तरह टूटी-फूटी है और बहुत से लोग इस पर गिरकर घायल हो चुके हैं।
KARTARPUR-KISHANGARH ROAD : सवारों को चोट लगने का खतरा अधिक-पूर्व आईएएस अधिकारी
सड़क पर दोपहिया वाहन चालकों और साइकिल चालकों को घायल होते देखना लगभग दैनिक घटना है। कारों से आने-जाने वालों को भी कम खतरा नहीं है। रात का सफर तो और भी खतरनाक है। ये कहना है पूर्व IES (INDIAN ECONOMIC SERVICES ) अधिकारी मोहिंदर सिंह विर्दी का। उन्होंने कहा, कई बार इस को लेकर प्रशासन और नेता से बात हो चुकी है लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा।
निवासियों ने कहा है कि वे इस मुद्दे की ओर सभी संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर करने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जो सड़क अमियां तोफा, घुमियारा और राजाव गांवों से होकर गुजरती है वह भोगपुर की ओर जाने वाला प्रवेश द्वार भी है। सड़क का कम से कम 5 किमी का हिस्सा दोनों किनारों से खराब हो गया है, जिससे परेशानी होती है।
KARTARPUR-KISHANGARH ROAD : रात का सफर दिन से भी ज्यादा खतरनाक
अमियान तोफा गांव के रहने वाले एक पूर्व IES (INDIAN ECONOMICS SERVICES ) अधिकारी मोहिंदर सिंह विर्दी ने कहा, “सड़क पर दोपहिया सवारों और साइकिल चालकों को घायल होते देखना लगभग दैनिक घटना है। यहां तक कि कारों से यात्रा करने वालों को भी कम जोखिम नहीं होता है और हर यात्रा पर उनके वाहन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। रात का सफर दिन के सफर से भी ज्यादा खतरनाक है। राज्य सरकार को इस सड़क की न केवल मरम्मत करानी चाहिए बल्कि अच्छी कनेक्टिविटी को देखते हुए इसका चौड़ीकरण भी कराना चाहिए।”
KARTARPUR-KISHANGARH ROAD : सबसे ज्यादा खतरे में गर्भवती महिलाएं
सबसे ज्यादा खतरे में गर्भवती महिलाएं और बच्चे -बुजुर्ग होते हैं। सड़क पर सड़क नहीं बची है। सिर्फ गड्ढे बचे हैं। अगर वैसे भी कोई सेहत सम्बन्धी समस्या आ जाये तो आदमी अस्पताल पहुँच पायेगा या नहीं, रब्ब जाने।
घुमियारा गांव के गुरमीत सिंह और पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह सोढ़ी ने कहा, “दैनिक काम के कारण हमें दिन में कई बार यहां से गुजरना पड़ता है। लेकिन इन 50 गांवों के बुजुर्ग और महिलाएं बड़े गड्ढों के कारण किसी भी समय गिरने के डर से मोटरसाइकिल और स्कूटर से जाने में बहुत झिझकते हैं।
गुरमीत सिंह , पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह सोढ़ी