Supreme Court ने कहा – शिकायतकर्ता द्वारा तलाक का नोटिस देने के बाद शिकायत की गई
Supreme Court ने कहा, गलत इरादे से लगाये थे आरोप
नई दिल्ली। Supreme Court /सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला के सास-ससुर के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उसका गर्भपात हो गया था और उसके पति और ससुराल वालों ने उसे परेशान किया था।
कोर्ट ने कहा, आरोपों से ‘गलत मकसद’ की बू आती है। महिला अपने अलग हो चुके पति पर तलाक के लिए राजी होने के लिए दबाव डाल रही थी। हालाँकि बाद में पति की मौत हो गई।
न्यायमूर्ति बी.आर. की पीठ गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने ससुराल वालों द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया, जिसमें ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा 498 ए (विवाहित महिला का उत्पीड़न) और 312/313 (स्वेच्छा से गर्भपात करना) के तहत दर्ज मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक महिला ने अपने ससुराल वालों और अपने अलग रह रहे पति के खिलाफ केस कर रखे थे।
Supreme Court में अपील लंबित रहने के दौरान पति की मृत्यु हो गई, इसलिए उनके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा तलाक का नोटिस देने के बाद शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें क्रूरता के आरोप या गर्भपात के दावे की भनक तक नहीं थी।
अदालत ने यह भी कहा कि कथित घटना 2016 में हुई थी जबकि शिकायत 2018 में तलाक का नोटिस दिए जाने के बाद दायर की गई थी।
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