अर्ध रात्रि में खिड़की के समीप लंबी गहरी श्वास भरकर शून्य में घंटों निहारती है
उसे दिखता है कोई पद-चिन्ह
ईशान कोण में जला आती है एक दीया
एकटक देखते हुए
दिख जाता है उसे वह चेहरा
जो दुनियावी माया से विलग है
भरे कंठ से लेती है नाम
गहरे कुएँ में छुपा आती है उसके सारे निशान
हर बार चुन लेती है कठोर रास्ता
सूझ से परे जो सराय है
तेज प्यास में ईश्वर की प्रशंसा हो भी तो कैसे
समाप्ति पर पहुंचने से पहले हथेली का स्पर्श हो
वह जो देश की राजधानी में गुम है कहीं
जो रात के तीसरे पहर में देता है पीठ पर चुंबन
तुम्हारे छाती के ठौर से ज्यादा माकूल कोई ज़गह नहीं
जहाँ गाँठ दिया था अपना सारा अहम्
काठ से तरलता का आवेग
जीया जाता रहा उस पल
जवा-कुसुम की गंध से भर गया था
वह छोटा कमरा
इस अस्वीकृत रिश्ते में तुम मजबूत पात्र हो
याकि प्रलय की रात में बढ़ता हुआ कोई हाथ
तुममें जो ठहराव है
वह किसी तालाब के पानी को भी हासिल नहीं
कितना कुछ बचा रह गया है
तुम्हारे चले जाने के बाद भी
चाय के कप पर तुम्हारे उंगलियों के निशान
सिगरेट का बट भी तुम्हारे होठों के स्पर्श की कहानी कहता है
जीवन सहेज सकूँ इतना काफी है
तअल्लुक़ेदार कहते हैं__
तुम्हें चाय सिगरेट के अलावा कविताओं
का शौक है
इन दिनों कविताओं में तुम सांस ले रहे हो।
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परिचय
ज्योति रीता/POEM BY JYOTI RITA
POEM BY JYOTI RITA
हिंदी साहित्य से परास्नातक
बी.एड. , एम.एड.
कविता कोश, हिंदवी , इन्द्रधनुष, पहली बार, समकालीन जनमत, पोसम पा, लोक राग, हिंदी नेक्स्ट आदि पर कविताएं
वार्गथ, इंद्रप्रस्थ भारती, समावर्तन के युवा कवि स्तंभ ,नयापथ, कृति बहुमत, पाखी, समकालीन जनमत, समय के साखी (2020के बाद के युवा कवि), पुस्तकनामा- चेतना का देश राग (समकालीन युवा कविता स्तंभ), सब लोग पत्रिका, संवदिया, युद्धरत आम आदमी, ककसाड़़, वर्तमान साहित्य, अलीक, अमर उजाला साहित्य स्तंभ, दैनिक भास्कर साहित्य स्तंभ आदि में कविताएं प्रकाशित
लगभग 10 कविता संग्रह में साझा कविता प्रकाशित व कई भाषाओं में अनुवादित।
“मैं थिगली में लिपटी थेर हूँ।” पहला कविता संग्रह के लिए बिहार सरकार से अनुदान प्राप्त। संभावना प्रकाशक हापुड़ से 2022 में प्रकाशित ।