अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष सहित 15 पदों के लिए चुनाव हुए
नई दिल्ली, 21 दिसंबर : पिछले 11 महीनों से विवादित रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) को आज नया अध्यक्ष मिल गया है। पिछली बॉडी में जॉइंट सेक्रेटरी रहे संजय सिंह नए अध्यक्ष बन गए हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियन अनीता सिंह श्योराण को हराया।
चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा था कि उन्हें जीत मिलने का पूरा भरोसा है। आख़िर उन्हें यह भरोसा किस आधार पर था। आख़िर इस आत्मविश्वास के पीछे वजह क्या है?
बृजभूषण शरण सिंह को महासंघ में तो ताक़तवर और दबंग माना ही जाता है, राजनीति में भी इनकी चलती है। इन्हीं के क़रीबी और वफादार संजय कुमार सिंह अध्यक्ष पद के लिए एक उम्मीदवार थे। दूसरी तरफ़ राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण थीं।
47 में से 40 वोट मिले
संजय सिंह ने 47 में से 40 वोट हासिल कर राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण पर भारी जीत हासिल की, जिन्हें शीर्ष पहलवानों का समर्थन प्राप्त था, जो उत्तर से छह बार के सांसद सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहले सड़कों पर उतरे थे।
संजय सिंह इससे पहले उत्तर प्रदेश कुश्ती संस्था के उपाध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं। वह 2019 में डब्ल्यूएफआई की अंतिम कार्यकारी परिषद और इसके संयुक्त सचिव का हिस्सा थे।
ओलंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट के नेतृत्व में पहलवानों के एक समूह द्वारा लंबे आंदोलन के बाद डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को पद से हटा दिया गया था।
डब्ल्यूएफआई चुनाव की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई, लेकिन अदालती मामलों के कारण इसमें देरी होती रही। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संस्था ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को खारिज कर दिया, जिससे चुनाव का रास्ता साफ हो गया।
अध्यक्ष के शीर्ष पद के अलावा, एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव और पांच कार्यकारी सदस्यों के पदों को भरने के लिए चुनाव हुए।
पुनिया और मलिक ने हाल ही में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी और बृजभूषण के सहयोगी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के तरीके मांगे थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
सिंह के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दिग्गज पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट से वादा किया गया था कि उनके परिवार के किसी भी सदस्य या सहयोगी को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तो, बृजभूषण के बेटे प्रतीक और दामाद विशाल सिंह दौड़ में नहीं उतरे, लेकिन उनके सहयोगी संजय सिंह का नामांकन साफ़ हो गया।