निचले सदन से निष्कासन को चुनौती दे रखी है तृणमूल कांग्रेस नेता ने
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निचले सदन से निष्कासन को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर बुधवार को लोकसभा महासचिव से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सदन की कार्यवाही में शामिल होने की मोइत्रा की अंतरिम प्रार्थना पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा, इसे अनुमति देना मुख्य याचिका को अनुमति देने जैसा होगा।
न्यायमूर्ति खन्ना ने मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, “हम अंतरिम राहत के लिए आपकी याचिका पर मार्च में विचार करेंगे।”
शीर्ष अदालत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोकसभा की आचार समिति को कोई नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया। दोनों को मोइत्रा ने अपनी याचिका में एक पक्ष बनाया था। कोर्ट ने कहा कि वो केवल लोकसभा सचिव से जवाब मांगेगी। ।
लोकसभा महासचिव की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से औपचारिक नोटिस जारी नहीं करने का अनुरोध किया और कहा कि वह मोइत्रा की याचिका पर जवाब दाखिल करेंगे।
मेहता ने कहा कि अदालत को राज्य की संप्रभु संस्था में अनुशासन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके बाद पीठ ने आदेश पारित किया और मामले को 11 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
8 दिसंबर को, पैनल रिपोर्ट पर लोकसभा में तीखी बहस के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने अनैतिक आचरण के लिए टीएमसी सांसद को सदन से बाहर निकालने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इसे ध्वनि मत से अपनाया गया। इस दौरान मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी।
जोशी ने कहा था कि आचार समिति ने मोइत्रा को अनैतिक आचरण और सदन की अवमानना का दोषी पाया क्योंकि उन्होंने अपने लोकसभा सदस्यों के पोर्टल क्रेडेंशियल उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड अनधिकृत लोगों के साथ साझा किए थे, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ा था।
समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मोइत्रा के आचरण को देखते हुए, सरकार द्वारा एक निर्धारित समय सीमा के साथ एक गहन कानूनी और संस्थागत जांच शुरू की जाए।
जोशी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अपने हित को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यवसायी से उपहार और अवैध संतुष्टि स्वीकार करने के लिए अशोभनीय पाया गया है, जो उनके लिए एक गंभीर दुष्कर्म और अत्यधिक निंदनीय आचरण है।
इससे पहले, आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ दायर शिकायत पर पैनल की पहली रिपोर्ट पेश की थी।
पिछले साल 19 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी को दिए एक हलफनामे में हीरानंदानी ने दावा किया था कि मोइत्रा ने उन्हें लोकसभा सदस्यों की वेबसाइट पर प्रश्न पूछने के लिए के लिए अपनी लॉगिन आईडी और पासवर्ड प्रदान किया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो पहले ही मामले में प्रारंभिक एफआईआर दर्ज कर चुका है।





