बहुत खून बह चुका और नहीं
लोगों ने कहा – उनको अपनी जगह, पहचान और अधिकार चाहिए
3 मई को कुकी और मैतेई लोगों के बीच झड़प के बाद मणिपुर में हिंसा फैलनी शुरू हो गई थी। जो अब तक पूरी तरह से थमी नहीं है। दर्जनों ऐसे संगठन अब बैनर और स्लोगन के साथ सड़कों पर हैं। उनकी मांग है कि बहुत खून बह चुका और नहीं। उनको अपनी जगह, पहचान और अधिकार चाहिए।
मणिपुर की जनसंख्या लगभग 30-35 लाख
किसी भी तरह आगे बढ़ने से पहले आए समझें कि मणिपुर की सामाजिक स्थिति क्या है। मणिपुर की जनसंख्या लगभग 30-35 लाख है। यहां तीन मुख्य समुदाय हैं-मैतई, नगा और कुक। मैतई ज़्यादातर हिंदू हैं पर कुछ मुसलमान भी हैं। संख्या में भी मैतई ज़्यादा हैं।
नगा और कुकी ज़्यादातर ईसाई हैं। नगा और कुकी जनजाति में आते हैं।
ITLF 9 जून, 2022 में बना था
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) की स्थापना 9 जून, 2022 को तुइबुओंग में केआईसी कार्यालय में जिले के भीतर मान्यता प्राप्त जनजातियों द्वारा की गई थी। इस फोरम में पाइते ट्राइब काउंसिल, कुकी इनपी, सिम्टे ट्राइब काउंसिल, वैफेई पीपुल्स काउंसिल, मिज़ो पीपुल्स कन्वेंशन, हमार इनपुई, यूनाइटेड ज़ो ऑर्गनाइजेशन और गैंगटे ट्राइब यूनियन जैसे प्रमुख आदिवासी संगठन शामिल हैं।
टॉम्बिंग के खिलाफ एफआईआर दर्ज
17 नवंबर को, चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने भारत सरकार के खिलाफ “युद्ध छेड़ने का प्रयास” करने के लिए आईटीएलएफ महासचिव मुआन टॉम्बिंग के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
यह केस 15 नवंबर को उनकी घोषणा के बाद दर्ज किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि जल्द ही एक “अलग प्रशासन” का गठन किया जाएगा। इसमें कुकी-ज़ोमी लोगों के वर्चस्व वाले चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जैसे जिले शामिल होंगे। सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों द्वारा उनके बयान की निंदा करने और उनके और आईटीएलएफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करने के एक दिन बाद FIR दर्ज की गई थी।
राजनीति पर इस संघर्ष का प्रभाव
मणिपुर की राजनीति के प्रति इस संघर्ष का प्रभाव भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। ITLF, जो Kuki नेताओं की एक प्रमुख राजनीतिक संघटना है, ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार का आरोप लगाया है कि वे Meitei समुदाय के पक्ष में हैं।