By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Telescope TimesTelescope TimesTelescope Times
Notification Show More
Font ResizerAa
  • Home
  • Recent Post
  • My Punjab
  • National
  • International
  • Cover Story
  • Health & Education
  • Web Stories
  • Art/Cinema & More
    • Science & Tech
    • Food & Travel
    • Fashion & Style
    • Sports & Stars
  • E-Paper Telescope Times
Reading: WORLD EARTH DAY 2024: संसाधनों का सम्मान न किया तो Regret करना पड़ेगा
Share
Font ResizerAa
Telescope TimesTelescope Times
Search
  • Home
  • Recent Post
  • My Punjab
  • National
  • International
  • Cover Story
  • Health & Education
  • Web Stories
  • Art/Cinema & More
    • Science & Tech
    • Food & Travel
    • Fashion & Style
    • Sports & Stars
  • E-Paper Telescope Times
Have an existing account? Sign In
Follow US
Telescope Times > Blog > Cover Story > WORLD EARTH DAY 2024: संसाधनों का सम्मान न किया तो Regret करना पड़ेगा
WORLD EARTH DAY
Cover Story

WORLD EARTH DAY 2024: संसाधनों का सम्मान न किया तो Regret करना पड़ेगा

The Telescope Times
Last updated: April 21, 2024 7:10 pm
The Telescope Times Published April 22, 2024
Share
Planet vs. Plastics , Earth day 2024
SHARE

WORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल 1970 को, 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में पहला पृथ्वी दिवस मनाया

Table of Contents

  • WORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल 1970 को, 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में पहला पृथ्वी दिवस मनाया
  • WORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल की तारीख इसलिए चुनी
  • WORLD EARTH DAY: ये भी जानें
  • WORLD EARTH DAY : क्या है पृथ्वी दिवस 2024 की थीम
  • WORLD EARTH DAY : भारत में है कितना वन क्षेत्र
  • WORLD EARTH DAY: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट
  • WORLD EARTH DAY: एक और परेशान करने वाली खबर है
  • WORLD EARTH DAY: किसानों को प्रोत्साहित करना होगा
  • WORLD EARTH DAY: एक नज़र आंकड़ों पर डालते हैं
  • WORLD EARTH DAY: दुनिया भर के जंगल खतरे में!
  • WORLD EARTH DAY: आग से हर मिनट करीब 16 फुटबॉल मैदानों के बराबर जंगल स्वाहा
  • WORLD EARTH DAY: जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए एशियाई वन विविधता बेहद जरूरी: अध्ययन

WORLD EARTH DAY : पहली बार आज के ही दिन 1970 में पृथ्वी दिवस यू.एस. में मनाया गया, जिसकी स्थापना अमेरिकी राजनेता और संरक्षणवादी गेलॉर्ड एंटोन नेल्सन ने की थी। उन्होंने पर्यावरण आंदोलन को बढ़ावा देने में मदद की जिससे यह तेजी से एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में बदल गया।

Contents
WORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल 1970 को, 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में पहला पृथ्वी दिवस मनायाTable of ContentsWORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल की तारीख इसलिए चुनीWORLD EARTH DAY: ये भी जानेंWORLD EARTH DAY : क्या है पृथ्वी दिवस 2024 की थीमWORLD EARTH DAY : भारत में है कितना वन क्षेत्रWORLD EARTH DAY” पंजाब का 78 फीसदी इलाका सूखे की चपेट में, पानी की बर्बादी सबसे बड़ा कारणWORLD EARTH DAY: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्टWORLD EARTH DAY: एक और परेशान करने वाली खबर हैWORLD EARTH DAY: किसानों को प्रोत्साहित करना होगाWORLD EARTH DAY: एक नज़र आंकड़ों पर डालते हैंWORLD EARTH DAY: दुनिया भर के जंगल खतरे में!WORLD EARTH DAY: आग से हर मिनट करीब 16 फुटबॉल मैदानों के बराबर जंगल स्वाहाWORLD EARTH DAY: जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए एशियाई वन विविधता बेहद जरूरी: अध्ययन

ये तो जगजाहिर है-औद्योगिक क्रांति के बाद से कार्बन उत्सर्जन काफी बढ़ा है। इसका सबसे बुरा असर पृथ्वी पर पड़ रहा है। इसके अलावा आज के इस पूंजीवादी विकास मॉडल ने विभिन्न स्तरों पर प्रकृति को क्षति पहुंचाया है। इस कारण पृथ्वी के संरक्षण की जरूरत महसूस हुई है। प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की भूमिका भी महसूस हुई है। इस कारण पृथ्वी दिवस मना कर लोगों को महत्व बताया जाने लगा।

22 अप्रैल 1970 को, 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में पहला WORLD EARTH DAY मनाया। पीस एक्टिविस्ट जॉन मैककोनेल ने साल 1969 में पहली बार यूनेस्को सम्मेलन में पृथ्वी दिवस का विचार रखा था। इस दिन को मनाने का मकसद पृथ्वी के संसाधनों को संभालना, शांति बनाए रखना और उसका सम्मान करना था।

हालाँकि 1960 के दशक में ही, पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ रही थी। विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन हो रहे थे, जो प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के बहुत दोहन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। इसपर चर्चा हो रही हो रही थी।

WORLD EARTH DAY : 22 अप्रैल की तारीख इसलिए चुनी

WORLD EARTH DAY को मनाने के लिए 22 अप्रैल की तारीख इसलिए चुनी गई, क्योंकि यह कॉलेजों की स्प्रिंग ब्रेक और अंतिम परीक्षाओं के बीच पड़ती थी। स्टूडेंट्स फ्री हो चुके होते थे और इसका उद्देश्य अधिक से अधिक विद्यार्थियों को आकर्षित करना था।

साल 2000 में, इंटरनेट ने पूरी दुनिया के कार्यकर्ताओं को जोड़ने में WORLD EARTH DAY की मदद की। 2016 का मशहूर पेरिस समझौते पर इसी दिन दुनिया के 175 देशों ने हस्ताक्षर कर इस दिन का महत्व को रेखांकित किया था।

इस दिन लोग धरती को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं। स्कूलों में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कई सामाजिक कार्यकर्ता पृथ्वी को बचाने के लिए जुलूस और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन करते हैं।

WORLD EARTH DAY: ये भी जानें

पृथ्वी लगभग 4.54 अरब साल पुरानी है।
पृथ्वी एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन है।
पृथ्वी का 71 फीसदी पानी से ढका है।

यूं तो 1960के दशक से पहले ही पर्यावरण पर बात शुरू हो गई थी लेकिन बाद में ये सब्जेक्ट रोज़मर्रा की चर्चा में जुड़ गया। विकासशील दुनिया में, पर्यावरणवाद लोगों के अधिकारों सहित राजनीतिक और मानव अधिकारों जैसे मुद्दों में प्रमुखता से शामिल रहा है। उदाहरण हैं –भारत में चिपको आंदोलन जिसने वन संरक्षण को महिलाओं के अधिकारों से जोड़ा और ये बात पूरी दुनिया में फैल गई। इसके बाद लोग पर्यावरण को लेकर सचेत होते गए।

WORLD EARTH DAY : क्या है पृथ्वी दिवस 2024 की थीम

WORLD EARTH DAY 2024 की थीम है ” Planet vs Plastics“। यह थीम प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर खतरे पर प्रकाश डालती है जो हमारे ग्रह और लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। इस साल, पृथ्वी दिवस का लक्ष्य प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण से प्लास्टिक कचरे को हटाने के लिए जागरूकता बढ़ाना और कार्रवाई करना है। पूरी दुनिया में सन्देश दिया जा रहा है, सिंगल-यूज प्लास्टिक और प्लास्टिक कचरे को रीसायकल करें।

कुछ वर्ष पहले पृथ्वी के पेड़ों का विस्तृत विश्लेषण किया गया था। इस प्रयास के लिए images from satellites, using sophisticated algorithms का उपयोग किया गया। अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि हमारे ग्रह पर लगभग तीन ट्रिलियन पेड़ हैं। यह संख्या आश्चर्यचकित करने वाली थी, क्योंकि यह पहले के सभी विद्वानों के अनुमानों से कहीं अधिक थी। और उपग्रह चित्रों से यह भी पता चला कि ये पेड़ पृथ्वी पर कैसे फैले हुए हैं। विश्व का औसत प्रति मनुष्य 400 से कुछ अधिक पेड़ हैं ।

Sauth अमेरिकी वर्षावनों में पृथ्वी पर मौजूद सभी पेड़ों का 15-20% हिस्सा है। दूसरी बड़ी संख्या कनाडा और रूस में के बोरियल जंगलों या टैगा में मौजूद हैं। परिणामस्वरूप, प्रत्येक कनाडाई निवासी के पास लगभग 9,000 पेड़ हैं।
इसके ठीक विपरीत, मध्य पूर्वी द्वीप राष्ट्र बहरीन में रहने वाले 15 लाख लोग केवल 3,100 पेड़ों से गुजारा करते हैं। प्रति वर्ग किमी. में लगभग पाँच पेड़ही हैं।

WORLD EARTH DAY : भारत में है कितना वन क्षेत्र

हमारे अपने देश का अनुमान है कि प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 28 पेड़ हैं। जनसंख्या और वनों की कटाई के लंबे इतिहास के कारण यह संख्या बढ़ी है। बांग्लादेश, जहां जनसंख्या घनत्व भारत से तीन गुना है, में प्रति नागरिक छह पेड़ हैं। नेपाल और श्रीलंका दोनों में प्रति व्यक्ति सौ से कुछ अधिक पेड़ हैं।

भारत के भूगोल में विविधता के कारण प्राकृतिक वन क्षेत्र में बड़ा अंतर है। नम उष्णकटिबंधीय वन, अपनी घनी छतरियों, उच्च वर्षा और समृद्ध जैव विविधता के साथ पश्चिमी और पूर्वी घाट, पूर्वोत्तर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में देखे जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश में अस्सी प्रतिशत भूमि क्षेत्र वन क्षेत्र के अंतर्गत है; राजस्थान में यह 10% से भी कम है।

वनों के अंतर्गत एक तिहाई क्षेत्र के भारत की वन नीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। पुनर्वनीकरण ( Reforestation) के प्रयास इस लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान करते हैं, लेकिन अधिक महत्व वनों की कटाई की रोकथाम का है। दक्षिणी राज्य इस मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 में कहा गया है कि वन बढ़ाने में सबसे अच्छे सुधार वाले तीन राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु हैं।

WORLD EARTH DAY
WORLD EARTH DAY

WORLD EARTH DAY” पंजाब का 78 फीसदी इलाका सूखे की चपेट में, पानी की बर्बादी सबसे बड़ा कारण

दुनिया में 1.84 बिलियन लोग सूखे से प्रभावित हैं। जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई आपदाओं की वजह से पुरुषों की तुलना में महिलाओं और बच्चों की मृत्यु होने की संभावना 14 गुना अधिक होती है। भूमि उपयोग में परिवर्तन, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, जल की खपत में वृद्धि जैसे मानव जनित कारणों से बार-बार भयंकर सूखा पड़ रहा है।

अगर भारत देश के स्तर पर बात करें तो पानी का अति दुरूपयोग 60 फीसदी है। वही सबसे ज़्यादा पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में होता है। पिछले साल भी पंजाब को चेताया गया था कि यह राज्य 166 फीसदी पानी धरती से निकाल रहा। 76 फीसदी पानी का दहन ज़्यादा हो रहा। 72 और 61 फीसदी के साथ राजस्थान और हरियाणा दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं। पंजाब में पानी का रिचार्ज बहुत कम है, यानि कि सिर्फ 18 फीसदी। रिचार्ज का मतलब है किसी भी तरह पानी का वापस ज़मीन में जाना।

WORLD EARTH DAY: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट

अगर हम पंजाब की ही बात करें तो हालात कंट्रोल से बाहर होते दिख रहे। और सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट हमें अलर्ट भी कर रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2039 तक इस प्रांत में धरती के नीचे का पानी 1000 फ़ीट तक गिर जायेगा। यह अभी 450 फ़ीट तक है। इसका सबसे बड़ा कारण है पानी का दुरूपयोग। बारिश के पानी का सही उपयोग न करना।

2000 में भी संभल जाते तो सब ठीक रहता। तब ज़मीन के नीचे का पानी 110 फ़ीट पर था।

रिपोर्ट की मानें तो पंजाब का 78 फीसदी इलाका डार्क जोन में है। क़रीब 12 फीसदी इलाका ऐसा बचा है जो सही है। बाकी बचते इलाके मिले जुले हालात वाले हैं।

NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ) की निगरान कमेटी ने बताया कि बरनाला, बठिंडा, फतेहगढ़ साहिब, जालंधर, मोगा, होशियारपुर, नवांशहर, पठानकोट, पटियाला, संगरूर सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।

अगर यहां के प्रशासन और लोगों ने जल्द पानी नहीं संभाला तो वो दिन दूर नहीं जब लोग बूँद-बूँद पानी के लिए तरसेंगे।

WORLD EARTH DAY: एक और परेशान करने वाली खबर है

कुछ महीने पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पंजाब के रोपड़ शहर में स्थित गांव हीरपुर के 70 ट्यूबवेल /नलकूप पूरी तरह से सूख गए हैं जो आने वाले सूखे के ख़तरे की एक चेतावनी है। एक्सपर्ट का कहना है, ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के लिए सख़्त और अनिवार्य कदम उठाने अति आवश्यक है। बहुत गहरी खुदाई भी सूखे का कारण बन रही। संगतपुर, सैदपुर और भनुआ गांव के किसानों ने बताया था कि एक टूबवेल सूखने पर उन्हें दूसरा बनवाना पड़ता है जिसमें क़रीब 5 लाख खर्च आता है।

WORLD EARTH DAY

WORLD EARTH DAY: किसानों को प्रोत्साहित करना होगा

सरकार को फसली चक्र बदलने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना होगा। जिन फसलों के उत्पादन में पानी कम लगता हो, उन फसलों के बीज उपलब्ध करवाने होंगे और उन पर एमएसपी (अधिकतम मूल्य ) भी देनी होगी ताकि किसान उन फसलों को बीजने में रुचि दिखाएँ।

सरकार को इस पर ध्यान देना होगा कि आम लोगों को शिक्षित किया जाये कि पानी अमृत है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती। जैसे हर जिला परिषद में 7 छोटे बड़े तालाब बनाये जाएं जिससे पानी जमीन में पानी रिसता जाये और पंजाब की मिट्टी में नमी और उपजाऊ शक्ति बनी रहे।

स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में पर्यावरण संभाल पर बच्चों को प्रैक्टिकल रूप से बाहर ले जाएं और सच्चाई से अवगत करवाएं।

इतना है काफी नहीं होगा। जल की खपत और प्रबंधन के प्रति गंभीर कदम उठाना लंबे समय में पंजाब को लाभ पहुंचा सकता है। उन देशों का अनुसरण किया जा सकता है जो कृषि, घरेलू और औद्योगिक स्तर पर अच्छे काम कर रहे हैं। जनता को आने वाली आपदा को रोकने के प्रति उनकी सामूहिक जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। सभी को साथ लेना ही प्रभावी जल संरक्षण की कुंजी है। अब हर बूंद को बचाने का समय आ गया है।

इससे पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, विकास के नाम पर लाखों हेक्टेयर जंगल काट डाले, जिसमें पंजाब का आंकड़ा सबसे ज़्यादा है। खबर छपी थी कि कर्नाटक में बीजेपी सांसद के भाई ने 150 के क़रीब पेड़ काट डाले हैं जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा थी। ये तब हुआ है जब सेंटर में सरकार भी बीजेपी की है।

WORLD EARTH DAY

WORLD EARTH DAY: एक नज़र आंकड़ों पर डालते हैं

पिछले 15 साल में भारत में तीन लाख हेक्टेयर से ज़्यादा वन भूमि को गैर-वनीय उपयोग के लिए मंजूर किया गया है।

वर्तमान में पंजाब में कुल वन क्षेत्र 1,84,700 हेक्टेयर है।

सदन में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में 61,318 हेक्टेयर वन भूमि है जो 2008-09 के बाद से गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई है। ये सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सबसे अधिक है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ये मंजूर की गई तो क्यों नहीं इसके दुष्परिणामों का ध्यान रखा गया। अगर बिना मंजूरी के अवैध कटी है या बदली गई है तो उनपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई जिन्होंने ये कांड किया।

आंकड़े बताते हैं कि खनन ने सबसे बड़े क्षेत्र 58,282 हेक्टेयर को प्रभावित किया है। यहां सड़क निर्माण, सिंचाई, जल विद्युत और ट्रांसमिशन लाइनें काम शामिल हैं जो पर्यावरण को सीधे सीधे प्रभावित करते हैं।

हाल ही में होशियारपुर में सड़कें चौड़ीं करने के नाम पर में रोड पर काफी संख्या में पेड़ काट डाले गए थे। इससे पहले भी रोपड़ और होशियारपुर में खैर के पेड़ काटने का नोटिस लिया गया था और पंजाब एन्ड हरियाणा हाई कोर्ट ने इनके कटने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि पहले ये बताया जाए कि इसकी ज़रूरत क्या है और इसका नुकसान कितना होगा। उसके बाद ही कोर्ट मंज़ूरी देगी।

7 अगस्त 2023 को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि पिछले 15 वर्षों (2008-09 से 2022-23) में 3,05,756 हेक्टेयर वन भूमि का डायवर्जन हुआ है। वहीं अगर पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों को देखें तो करीब 90 हजार हेक्टेयर वन भूमि का डायवर्जन हुआ है।

अप्रैल 2018 से मार्च 2023 के बीच देशभर के 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सबसे अधिक वन भूमि सड़क और खनन के लिए ली गई है।

पिछले 5 साल में देश भर में करीब 90 हजार हेक्टेयर वन भूमि, गैर वनीय उपयोग के लिए परिवर्तित कर दी गई है। 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद से देश में यह आंकड़ा सवा 10 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है। यानी 1980 के बाद से अब तक सवा दस लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा वन भूमि का गैर वनीय उपयोग के लिए डायवर्जन हुआ है।

डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह भूमि दिल्ली के भौगोलिक क्षेत्रफल से लगभग 7 गुना अधिक है। उदारीकरण से ठीक पहले साल 1990 में सर्वाधिक 1 लाख 27 हजार से अधिक वन भूमि का डायवर्जन हुआ था। दूसरा सबसे बड़ा डायवर्जन साल 2000 में हुआ। जबकि इस साल 1 लाख 16 हजार से अधिक वन भूमि गैर वनीय उपयोग के लिए डायवर्ट की गई है।

पिछले 5 सालों में सड़क (19,497 हेक्टेयर) और खनन (18,790 हेक्टेयर) के लिए 38,767 हेक्टेयर (43 प्रतिशत) भूमि का डायवर्जन हुआ है। ट्रांसमिशन लाइन व सिंचाई के लिए 10 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का उपयोग किया गया है। रक्षा से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 7,631 हेक्टेयर, हाइड्रो परियोजना के लिए 6,218 हेक्टेयर और रेलवे के लिए 4,770 हेक्टेयर भूमि का डायवर्जन किया गया है। इनके अतिरिक्त नहरों, अस्पताल/डिस्पेंसरी, पेयजल, वनग्रामों के कन्वर्जन, उद्योग, ऑप्टिकल फाइबर केबल, पाइपलाइन, पुनर्वास, स्कूल, सौर ऊर्जा, ताप ऊर्जा, पवन ऊर्जा, गांवों में विद्युतीकरण की परियोजनाओं के लिए भी वन भूमि का बड़े पैमाने पर डायवर्जन हुआ है।

WORLD EARTH DAY: दुनिया भर के जंगल खतरे में!

देखा जाए तो दुनिया भर के जंगल खतरे में है। साल 2022 में ही करीब 66 लाख हेक्टेयर में फैले जंगल इंसानी फितरत की भेंट चढ़ गए। यानी हर मिनट में दुनिया भर में करीब 13 हेक्टेयर में फैले जंगल काटे जा रहे हैं। इसके लिए कृषि, पशुपालन, सोया की खेती, ताड़ के तेल का उत्पादन और छोटी जोत वाली खेती प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। इनके साथ ही सड़कों का बिछता जाल, पेड़ों की व्यावसायिक रूप से हो रही कटाई भी इनको गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।

दुनिया भर के पर्यावरण संगठनों के गठबंधन द्वारा जारी नई रिपोर्ट ‘2023 फारेस्ट डिक्लेरेशन असेसमेंट : ऑफ ट्रैक एंड फॉलिंग बिहाइंड’ में इस बात का मूल्यांकन किया गया है कि देश, कंपनियां और निवेशक 2030 तक वनों की कटाई को समाप्त करने और 35 करोड़ हेक्टेयर क्षतिग्रस्त भूमि की बहाली के अपने वादों को पूरा करने के लिए कितना बेहतर कर रहे हैं।

WORLD EARTH DAY

WORLD EARTH DAY: आग से हर मिनट करीब 16 फुटबॉल मैदानों के बराबर जंगल स्वाहा

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के 2022 के आंकड़ों से पता चला है कि आग से हर मिनट करीब 16 फुटबॉल मैदानों के बराबर जंगल स्वाहा हो रहे हैं। 2021 में वैश्विक स्तर पर करीब 93 लाख हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ गए थे। रिपोर्ट के अनुसार उष्णकटिबंधीय एशियाई देशों में बेसलाइन की तुलना में वनों की कटाई में 18 फीसदी की कमी आई है। मलेशिया और इंडोनेशिया ने 2022 के लिए तय अपने अंतरिम लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जल्द दुनिया में जंगलों की इस कटाई को 27.8 फीसदी तक कम करने की जरूरत है।

क्लाइमेट फोकस के वरिष्ठ सलाहकार एरिन मैट्सन का कहना है कि दुनिया भर के जंगल खतरे में हैं। यदि तापमान में हो रही वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखना है तो इन जंगलों को बरकरार रखना बेहद जरूरी है। जंगलों की हो रही कटाई को रोकने के लिए व्यवस्था में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है। 2021 की तुलना में 2022 के दौरान वैश्विक स्तर पर चार फीसदी ज्यादा तेजी से वनों का सफाया किया गया है।

WORLD EARTH DAY: जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए एशियाई वन विविधता बेहद जरूरी: अध्ययन

एशिया के वन पहले की तुलना में जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीले हो सकते हैं, बशर्ते कि उनकी विविधता बरकरार रखी जाए। एक अध्ययन में कहा गया है कि जंगल जलवायु परिवर्तन को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं, जबकि पेड़ों में विविधता जंगल के महत्व को और भी बढ़ा देती है।

डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, सिडनी विश्वविद्यालय की डॉ. रेबेका हैमिल्टन के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि 19,000 साल के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया में अलग-अलग तरह के ढके और खुले जंगल थे।

उनकी विविधता बरकरार रखने की ज़रूरत है। वे बताते हैं कि पूरे क्षेत्र में रहने वाले लोगों और जानवरों के पास पहले की तुलना में अधिक विविध प्राकृतिक संसाधन रहे होंगे। फिर भी बहुत कुछ संभाला जा सकता है। ये अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

सिडनी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज के डॉ. हैमिल्टन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन में तेजी आने के साथ, वैज्ञानिक और पारिस्थितिकी विज्ञानी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इसका दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों के वर्षा वनों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि लचीलेपन की सुविधा प्रदान करने वाले वनों को बनाए रखना क्षेत्र के लिए एक अहम संरक्षण उद्देश्य होना चाहिए। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि मौसम के अनुसार शुष्क वनों के प्रकारों के साथ-साथ 1000 मीटर से ऊपर के जंगलों, जिन्हें ‘पर्वतीय वन’ भी कहा जाता है, उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है।

WORLD EARTH DAY

https://telescopetimes.com/category/cover-story-news/

https://www.financialexpress.com/life/science/world-earth-day-2024-a-call-to-protect-our-planets-future-date-theme-and-all-you-need-to-know/3462134/

You Might Also Like

SOFI – 2024 में दुनिया भर में लगभग 72 करोड़ लोग भूख से प्रभावित

OPERATION SINDOOR के बाद बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी

भारत British Whisky का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार

Danger : प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले केमिकल हृदय रोगों से होने वाली मौतों की बड़ी वजह

Report – उत्तराधिकार से बदलता भारत का कॉरपोरेट चेहरा

TAGGED:NGTPlanetvsplasticWORLD EARTH DAYWORLD EARTH DAY 2024
Share This Article
Facebook Twitter Email Print
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow US

Find US on Social Medias
FacebookLike
TwitterFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe
newsletter featurednewsletter featured

Weekly Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

Popular News
72 trains will run from 430 cities for the consecration of Ram temple.
Trending News

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए 430 शहरों से चलेंगी 72 ट्रेन  

The Telescope Times The Telescope Times January 6, 2024
Father of Sidhu Moosewala – सिद्धू मूसेवाला के पिता बठिंडा से नहीं लड़ेंगे आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर – Election 2024
ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਲੋਂ ਕੀਤੀ ਫਾਈਰਿੰਗ ’ਚ ਬੀ.ਐਸ.ਐੱਫ ਦਾ ਜਵਾਨ ਸ਼ਹੀਦ
Bharat Bandh : 10 मुख्य बातें ; क्या खुला रहेगा और क्या नहीं
ट्रॅक-चालकों की हड़ताल से पंजाब के 30 फीसदी पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके, एक दिन का तेल बचा
- Advertisement -
Ad imageAd image
Global Coronavirus Cases

INDIA

Confirmed

45M

Death

533.3k

More Information:Covid-19 Statistics

About US

The Telescope is an INDEPENDENT MEDIA platform to generate awareness among the masses regarding society, socio-eco, and politico.

Subscribe US

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

© 2023 Telescopetimes. All Rights Reserved.
  • About
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
Join Us!

Subscribe to our newsletter and never miss our latest news, podcasts etc..

Zero spam, Unsubscribe at any time.
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?