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Reading: यूपी में 8 दिवसीय रामोत्सव, जिलों में रथ व कलश यात्राएं
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Telescope Times > Blog > Trending News > National > यूपी में 8 दिवसीय रामोत्सव, जिलों में रथ व कलश यात्राएं
8-day Ramotsav in UP, Rath and Kalash Yatras in districts
National

यूपी में 8 दिवसीय रामोत्सव, जिलों में रथ व कलश यात्राएं

The Telescope Times
Last updated: May 4, 2024 11:48 pm
The Telescope Times Published January 5, 2024
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8-day Ramotsav in UP, Rath and Kalash Yatras in districts
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14 जनवरी से होगी शुरुआत
22 जनवरी तक सभी राम मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाएंगे

अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को राम लला की मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम होंगे। इसकी शुरुआत मक्कर संक्रांति से हो जाएगी। राज्य में इसके लिए आठ दिवसीय रामोत्सव मनाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आठ दिवसीय रथ यात्रा और कलश यात्रा आयोजित करेगी। प्रदेश के सभी जिलों के गांवों और शहरी निकायों में 14 जनवरी से इसकी शुरुआत हो रही है।

Contents
14 जनवरी से होगी शुरुआत22 जनवरी तक सभी राम मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाएंगेराज्य संस्कृति विभाग द्वारा शुरू किये गए वेब पोर्टल अपलोड होगी जानकारी“राम मंदिर आंदोलन”

इसके तहत 14 से लेकर 22 जनवरी तक सभी राम मंदिरों, हनुमान मंदिरों और वाल्मीकि मंदिरों में रामकथा, रामायण पाठ, भजन-कीर्तन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाएँगे। रामायण के सुंदरकांड का निरंतर पाठ भी होगा। यह भी निर्णय लिया गया कि प्रभु श्रीराम को वैश्विक आस्था के केंद्र के तौर पर प्रचारित-प्रसारित करने के लिए अयोध्या में देश-विदेश के 18 से ज्यादा रामलीला स्वरूपों का मंचन किया जाए। इसके अतिरिक्त प्रभु श्रीराम को केंद्र में रखकर विभिन्न सांस्कृतिक, पारंपरिक लोक कला व आध्यात्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा।

आठ दिवसीय रामोत्सव को सफल बनाने के लिए अधिकारियों को सख़्त निर्देश भेजे गए हैं। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से सभी जिलों को इस संबंध में एक शासनादेश भेजा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं कि ये कार्यक्रम भव्य तरीके से आयोजित हों।

राज्य संस्कृति विभाग द्वारा शुरू किये गए वेब पोर्टल अपलोड होगी जानकारी

राज्य संस्कृति विभाग ने एक वेब पोर्टल शुरू किया है, जहां उनके जीपीएस स्थानों और तीर्थ प्रबंधन की जानकारी के साथ कार्यक्रमों की तस्वीरें अपलोड की जाएंगी। अधिकारियों ने कहा कि जहां रथयात्रा में मुख्य रूप से पुरुष शामिल होंगे, वहीं कलश यात्रा में मुख्य रूप से महिलाएं शामिल होंगी। इन आयोजनों के लिए मंदिरों का चयन संबंधित जिला प्रशासन द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, संस्कृति और सूचना विभाग के साथ पंजीकृत कलाकार इन कार्यक्रमों में प्रदर्शन करेंगे और भुगतान जिला पर्यटन और सांस्कृतिक बोर्डों के माध्यम से किया जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है, ‘विश्व प्रसिद्ध अमूर्त विरासत, वाल्मिकी की रामायण को सुनिश्चित करना और संरक्षित करना और इसके बारे में जानकारी फैलाना हमारी जिम्मेदारी है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण संस्कृति, आदर्श और परंपरा की स्थापना की दिशा में एक कदम है। महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखित रामायण श्री राम के जीवन पर आधारित एक विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य है, जो उन मूल्यों को सिखाता है जो वर्तमान समय में महत्वपूर्ण हैं।’

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में देश के प्रत्येक जिले और देश भर के अधिकांश प्रखंडों से 150 से अधिक जाति- समुदायों के प्रतिनिधियों को अयोध्या में शामिल करने का फ़ैसला लिया गया है।

“राम मंदिर आंदोलन”

अतिथियों की इस सूची में बड़ी संख्या में दलित और आदिवासी समुदाय के संत शामिल किए गए हैं। उनके अलावा इस सूची में सबसे गरीब परिवारों से ऐसे 10 लोगों को शामिल किया गया है जो झोपड़ियों में रहते हैं, लेकिन उन्होंने राम मंदिर निधि के लिए 100 रुपये का योगदान दिया। इस सूची में मंदिर का निर्माण करने वाले कार्यकर्ता भी मेहमानों के तौर पर शामिल किए गए हैं।

इस आयोजन को संघ परिवार के दूसरे “राम मंदिर आंदोलन” के रूप में देखा जा रहा है। संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद इस समारोह का इस्तेमाल हिंदू समाज को जात-पात से ऊपर उठकर एक साथ लाने की कोशिश के अवसर के तौर पर कर रहे हैं।

यही कारण है कि न सिर्फ सवर्ण जातियों बल्कि ओबीसी और दलितों की सभी प्रमुख जातियों-उपजातियों के प्रतिनिधियों को इस समारोह में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया है। इस समारोह का इस्तेमाल विहिप और संघ परिवार हिंदू एकता लाने के मौक़े के तौर पर कर रहा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 22 जनवरी को समारोह की इस अतिथि सूची में 4,000 संत और लगभग 2,500 प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। इसको इस तरह से तैयार किया गया कि हिंदू समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले। इसे कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें सभी प्रमुख जातियों और उपजातियों का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

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