Asia Cup Final : भारतीय हॉकी की आत्मा और उसकी जीवंत परंपरा का जश्न
एशियाई हॉकी का ताज एक बार फिर भारत के सिर सजा। फाइनल में भारतीय खिलाड़ियों ने अद्भुत खेल दिखाते हुए दक्षिण कोरिया को 4-1 से मात देकर एशिया कप खिताब अपने नाम किया। यह जीत न केवल एक टूर्नामेंट की जीत है, बल्कि भारतीय हॉकी की आत्मा और उसकी जीवंत परंपरा का जश्न भी है।
मैदान पर शुरुआत से ही भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी लय पकड़ ली थी। पहले क्वार्टर में ही गोल की बौछार ने कोरिया को चौंका दिया। जैसे ही भारतीय हॉकी स्टिक से गेंद नेट में समाई, पूरा स्टेडियम झूम उठा। कोरिया को संभलने का मौका भी नहीं मिला कि दूसरे क्वार्टर में भारत ने एक और वार कर दिया। 2-0 की बढ़त के साथ भारतीय खेमे का आत्मविश्वास चरम पर था।
हालाँकि तीसरे क्वार्टर में कोरिया ने दम दिखाया। उन्होंने एक गोल कर मैच में वापसी का संकेत दिया। लेकिन भारतीय शेर कहाँ पीछे हटने वाले थे? जवाब बिजली की तरह तेज़ आया। तीसरा गोल कर भारत ने कोरिया की उम्मीदों पर विराम लगा दिया।
और फिर आया चौथा क्वार्टर—विजय की मुहर। भारतीय खिलाड़ियों ने चौथा गोल दागकर जीत को ऐतिहासिक बना दिया। जैसे ही अंतिम सीटी बजी, स्कोरबोर्ड पर चमक रहा था: भारत 4 – 1 कोरिया।
इस जीत ने साबित कर दिया कि भारतीय हॉकी अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है और भविष्य की ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है। खेल के हर पास, हर गोल और हर जश्न ने देशवासियों को गौरव और आनंद से भर दिया।
देशभर में अब बस एक ही गीत गूंज रहा है—भारत हॉकी का सम्राट है। यह जीत भारतीय खेल इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में लंबे समय तक दर्ज रहेगी।
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