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Telescope Times > Blog > Crime & Law > Calcutta airport : आजीवन विकलांग महिला को सुरक्षा जांच में खड़े होने और चलने के लिए कहा, जांच होगी
Crime & Law

Calcutta airport : आजीवन विकलांग महिला को सुरक्षा जांच में खड़े होने और चलने के लिए कहा, जांच होगी

The Telescope Times
Last updated: February 1, 2024 10:21 pm
The Telescope Times Published February 1, 2024
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कोलकाता। जन्म से ही विकलांग और सिर्फ व्हीलचेयर के सहारे चल- फिर सकने वाली महिला को तब निराशा का सामना करना पड़ा जब कलकत्ता हवाई अड्डे के घरेलू टर्मिनल पर एक कियोस्क के अंदर दो मिनट की सुरक्षा जांच के दौरान उसे खड़े होने और फिर दो कदम चलने को कहा गया। जब उन्होंने इसमें असमर्थता जताई तो उनसे कहा गया कि क्या हो गया है। इस सारे घटनाक्रम के दौरान उन्हें बुरा महसूस करवाया गया।

इस घटना से विशेष रूप से विकलांग लोगों की जरूरतों के प्रति सुरक्षा कर्मियों की संवेदनशीलता पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं।

जन्म से विकलांग गुड़गांव निवासी आरुषि सिंह को बुधवार शाम को नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच प्रक्रिया के दौरान तीन बार खड़े होने के लिए कहा गया।

आरुषि ने कहा, कियोस्क पर सुरक्षा महिला ने मुझसे कहा, खड़े होकर दो कदम आ जाओ (खड़े होकर दो कदम अंदर चलें)। मैंने उससे कहा, ‘वो नहीं हो सकता (यह संभव नहीं है)’। उसने फिर पूछा, ‘क्या हो गया?’ मुझे उसे समझाना पड़ा कि मैं जन्म से विकलांग हूं।

पूरा घटनाक्रम बमुश्किल एक या दो मिनट तक चला। अरुशी ने गुरुवार को बताया, ‘जब तक यह चलता रहा, मैं बहुत परेशान थी और चिल्ला रही थी। मुझे कियॉस्क से बाहर निकलने के लिए व्हीलचेयर को अपने आप धकेलने के लिए दीवारों का सहारा लेना पड़ा। सुरक्षाकर्मियों ने उसके व्यवहार के लिए खेद भी नहीं जताया और एयरलाइंस का व्हीलचेयर सहायक भी नहीं आया क्योंकि वो कहीं और व्यस्त था।

आरुषि पिछले डेढ़ साल से काम से जुड़ी यात्राओं पर हर तीन से चार महीने में दिल्ली से कलकत्ता आती रही हैं। उनकी दिल्ली की फ्लाइट शाम 7.30 बजे की थी। टर्मिनल भवन में प्रवेश करने से पहले, उन्हें लगभग 20 मिनट तक अपनी निजी व्हीलचेयर में इंतजार करना पड़ा क्योंकि एयरलाइंस द्वारा उपलब्ध कराई गई व्हीलचेयर तक ले जाने के लिए कोई सहायक नहीं था।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में आरुषि ने सारी कहानी बयान की है। उन्होंने लिखा है कि सेवाओं को लेकर सबकुछ ठीक नहीं है।

आरुषि ने कहा कि वह घटना के बारे में सीआईएसएफ अधिकारियों को लिखेंगी।

अक्टूबर 2021 में, नर्तक-अभिनेत्री सुधा चंद्रन ने भी इंस्टाग्राम पर एक भावनात्मक पोस्ट किया था जहां उन्होंने कृत्रिम अंग के साथ भारतीय हवाई अड्डों में यात्रा करने के अपने अनुभव को साझा किया था। उन्होंने कहा था कि सीआईएसएफ (जो हवाईअड्डों पर सुरक्षा का प्रबंधन करती है) ने विस्फोटक ट्रेस डिटेक्टर (ईटीडी) से गुजरने के उनके अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए उन्हें अपना कृत्रिम अंग हटाने के लिए कहा था।

चंद्रन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक वीडियो में भी ये बात बताई।

क्या कहते हैं नियम

1 दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने जीजा घोष बनाम भारत सरकार मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि कृत्रिम अंगों वाले दिव्यांग व्यक्तियों को सुरक्षा जांच के दौरान कृत्रिम अंग हटाने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा था कि हवाई यात्रा या सुरक्षा जांच के दौरान विकलांग व्यक्ति को उठाना अमानवीय है और उनकी मानवीय गरिमा का उल्लंघन है और यह केवल व्यक्ति की सहमति से ही किया जाना चाहिए।

28 मार्च, 2014 को जारी विशेष जरूरतों और चिकित्सा शर्तों वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया में कहा गया है, यदि यात्री खड़ा हो सकता है लेकिन चल नहीं सकता है, तो व्हीलचेयर या स्कूटर कि साइड में खड़े होकर थपथपाकर जांच की जा सकती है । यदि कोई यात्री खड़ा नहीं हो सकता है, तो उसे स्क्रीनिंग के लिए एक कुर्सी दी जानी चाहिए और उसके बाद उसे थपथपाया जाना चाहिए।

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक जुल्फिकार हसन ने कहा कि वह मामले की जांच करेंगे।

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