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Telescope Times > Blog > Health & Education > Haryana Agricultural University got patent
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Haryana Agricultural University got patent

The Telescope Times
Last updated: March 7, 2024 1:45 pm
The Telescope Times Published March 7, 2024
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निमेटोड को नियन्त्रण करने में कारगर साबित होंगे सिल्वर नैनोकण: कुलपति प्रो. काम्बोज
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को मुलेठी के सिल्वर नैनोकणों को बनाने की विधि पर मिला पेटेंट

हिसार । चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को मुलेठी (वेरायटी एचएम-1) का उपयोग करके सिल्वर नैनोकण बनाने की विधि पर भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है।

Contents
निमेटोड को नियन्त्रण करने में कारगर साबित होंगे सिल्वर नैनोकण: कुलपति प्रो. काम्बोजहरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को मुलेठी के सिल्वर नैनोकणों को बनाने की विधि पर मिला पेटेंटमुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनोकणों के फायदे:

इस विधि को विश्वविद्यालय के आणविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान विभाग (एम.बी.बी.एंड बी) की पूर्व विभागाध्यक्षा डॉ. पुष्पा खरब के नेतृत्व में उनके पीएचडी शोधार्थियों डॉ. कनिका रानी और डॉ. निशा देवी ने विकसित किया है। इस विधि को पेटेंट अधिनियम 1970 के अंतर्गत 20 वर्ष की अवधि के लिए 486872 संख्या से पेटेंट अनुदत किया गया है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि पॉलीहाऊस, ग्रीनहाउस, बागवानी व सब्जियों में रूट नॉट निमेटोड (जड़-गांठ सूत्रकृमि) के संक्रमण से बहुत अधिक नुकसान देखा गया है। पॉलीहाउस में नियंत्रित पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण निमेटोड की आबादी में वृद्धि हो जाती है और इनकी अत्याधिक संक्रमण दर के कारण कोई फसल नहीं उग पाती है। जिसकी वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए हमने मुलेठी द्वारा निर्मित इन सिल्वर नैनोकणों को रूट नॉट निमेटोड पर टेस्ट किया।

इस कार्य के लिए सूत्रकृमि विभाग के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश बानाकर का सहयोग लिया गया। शोधार्थियों ने यह जांच पहले लैब में, फिर स्क्रीन हाऊस में की, दोनों ही केस में मुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनोकण रूट नॉट निमेटोड को मारने में सक्ष्म पाए गए, इससे संबंधित और शोध कार्य जारी है।

प्रो. काम्बोज ने बताया कि कमर्शियल केमिकल नेमैटिसाइड (वाणिज्यिक रासायनिक सूत्रकृमिनाशक) की तुलना में मुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनोकणों की बहुत कम मात्रा ही सूत्रकृमिनाशक के रूप में प्रयाप्त पाई गई। इसलिए इन सिल्वर नैनोकणों को विभिन्न कृषि फसलों के लिए उपयोग किया जा सकता है। विश्वविद्यालय द्वारा इजाद की गई सिल्वर नैनोकण बनाने की यह विधि प्रभावी, किफायती और स्थिर है।

यह सिल्वर नैनोकण एक साल से अधिक समय तक स्थिर पाए गए हैं।
विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नीरज कुमार ने कहा कि यह पेटेंट मुलेठी (वेरायटी एच.एम-1) के मूल अर्क का उपयोग करके उसे सिल्वर नैनोकणों में परिवर्तित करने की बेहतर विधि है। यह सिल्वर नैनोकण एक साल से अधिक समय तक स्थिर पाए गए है। इन नैनोकणों में नेमैटिसाइडल (सूत्रकृमिनाशक) क्षमता की जांच इन विट्रो व इन विवो स्थितियों में भी की गई थी।

मुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनोकणों के फायदे:

पौधों के इस्तेमाल से नैनो कणों को बनाने की विधि में केमिकल्स का कम उपयोग होता है और कोई अतिरिक्त जहरीला अवशेष भी नहीं बनता है। मुलेठी के इस्तेमाल से बनाए गए हमारे सिल्वर नैनोकण निमेटोड को मारने में सक्ष्म पाए गए है। किसान मुलेठी आधारित इन सिल्वर नैनो कणों का उपयोग निमेटोड संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कर सकता है, जिसकी वजह से लगभग सभी खेती वाली फसलों की उपज और गुणवत्ता को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. मंजु महता, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य व एसवीसी कपिल अरोड़ा उपस्थित रहे।

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