ANI Case – 26 सितम्बर को शिकायतकर्ता का शपथपत्र किया जाएगा दर्ज
False ECI NEWS Case
देश की प्रमुख समाचार एजेंसी ANI की संपादक-इन-चीफ़ स्मिता प्रकाश के ख़िलाफ़ लखनऊ की अदालत में शिकायत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि एएनआई ने चुनाव आयोग के नाम से ऐसा बयान जारी किया, जो उस समय तक आयोग की ओर से आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया था।
ANI Case
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने अदालत में दायर शिकायत में कहा है कि 7 अगस्त 2025 को ANI ने सोशल मीडिया मंच एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर दावा किया कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया दी है। यह पोस्ट दोपहर 3 बजकर 8 मिनट पर डाली गई थी।
लेकिन चुनाव आयोग का वास्तविक बयान उसी दिन शाम को आया। पहले हिंदी में शाम 5 बजकर 59 मिनट पर और बाद में अंग्रेज़ी में रात 7 बजकर 55 मिनट पर। आयोग ने अपने बयान में राहुल गांधी के आरोपों को “भ्रामक, आधारहीन और धमकाने वाला” बताया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि एएनआई ने समय से पहले और गलत सूचना आयोग के नाम से प्रसारित की, जो जनता को भ्रमित करने वाली थी।
अदालत का आदेश
न्यायिक मजिस्ट्रेट (तृतीय), लखनऊ ने 11 सितम्बर 2025 को इस शिकायत को स्वीकार करते हुए मामला दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने शिकायतकर्ता को 26 सितम्बर को उपस्थित होकर शपथ पर बयान देने के लिए बुलाया है।
ANI Case – यह मामला अभी एक कम्प्लेंट केस है, न कि पुलिस एफआईआर। आगे की कार्यवाही में पुलिस जांच या प्राथमिकी दर्ज हो सकती है।
कानूनी पक्ष
शिकायत में भारतीय न्याय संहिता की उन धाराओं का हवाला दिया गया है, जिनमें झूठी सूचना फैलाने, धोखाधड़ी और जनविश्वास को ठेस पहुंचाने से संबंधित अपराध परिभाषित हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो यह मामला मीडिया की विश्वसनीयता और चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय की साख पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
राजनीतिक संदर्भ
मामला सीधे तौर पर उस समय उठा जब राहुल गांधी ने वोट चोरी और चुनावी गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। ऐसे में ANI द्वारा आयोग का कथित बयान पहले ही प्रकाशित कर देना विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच राजनीतिक टकराव को और गहरा करता है। विपक्ष लंबे समय से एएनआई पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है। वहीं सत्ताधारी दल के लिए यह रिपोर्टिंग उस समय आयोग की साख को उनके पक्ष में प्रस्तुत करने का माध्यम बन सकती थी।
प्रभाव
यह मामला केवल एक पत्रकार या संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि मीडिया और लोकतंत्र की विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ है। चुनाव आयोग की प्रतिक्रियाएँ केवल उसकी आधिकारिक वेबसाइट और सत्यापित सोशल मीडिया पर मान्य होती हैं। ऐसे में किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा अप्रमाणित बयान प्रकाशित करना न केवल आयोग की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है।
आगे की स्थिति
अब अदालत में 26 सितम्बर को शिकायतकर्ता का शपथपत्र दर्ज किया जाएगा। उसके बाद तय होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ेगा। एएनआई और स्मिता प्रकाश की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।