दिल्ली में चला रहा था परचून की दुकान
नई दिल्ली – दिल्ली में किरयाना की दुकान चलाने वाला डकैत 37 साल बाद तब पकड़ा गया जब उसने अपने को फ़ोन करने की गलती की और इसकी खबर पुलिस को लग गई।
शख्स की पहचान हासिम के तौर पर हुई है जिसने 1979 में बढ़ापुर थाना क्षेत्र के एक घर में डकैती डाली थी। 1979 में यूपी के बिजनौर स्थित बढ़ापुर थाना क्षेत्र में एक घर में डकैती डाली गई थी। पुलिस ने उस वक्त के बढ़ापुर थाना क्षेत्र के गांव आसफपुर सैदपीर उर्फ बनौवाला निवासी हासिम पुत्र बल्लू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से 37 साल पहले फरार हुए हासिम को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है।
हासिम दिल्ली के मुस्तफाबाद में छिपकर परचून की दुकान चला रहा था। सीजेएम कोर्ट से सात साल की सजा होने के बाद वह साल 1986 में फरार हो गया था। इसके बाद हाई कोर्ट से स्थाई वारंट जारी होने के बाद पुलिस 37 साल से उसकी खोज में लगी थी। अब नगीना देहात पुलिस ने उसे दिल्ली के मुस्तफाबाद से गिरफ्तार किया है। आरोपी को जेल भेज दिया गया है।
1979 में बढ़ापुर थाना क्षेत्र में एक घर में डाली थी डकैती
डकैती के बाद तत्कालीन पुलिस ने उस वक्त के बढ़ापुर थाना क्षेत्र के गांव आसफपुर सैदपीर उर्फ बनौवाला निवासी हासिम पुत्र बल्लू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में सीजेएम कोर्ट ने डकैती के आरोप में हासिम को सात साल की सजा सुनाई। सजा होने के बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने उसकी जमानत मंजूर कर ली। जमानत के बाद वह हाईकोर्ट में नहीं गया। हाईकोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी।
1986 में हाईकोर्ट ने हासिम के खिलाफ जारी किया वारंट
इसके बाद साल 1986 में हाजिरी नहीं होने के चलते हाईकोर्ट ने डकैत हासिम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। लेकिन तब तक वह अपनी संपत्ति बेचकर यहां से जा चुका था। वारंट के बाद कुर्की की कार्रवाई के बाद उसे भगोड़ा घोषित किया गया। इसके बाद हाई कोर्ट ने हासिम के खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया। इसके बाद से वह दिल्ली के मुस्तफाबाद में मकान बनाकर रह रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक हासिम का एक भाई नजीबाबाद के साहरनपुर में रहता है। हासिम अपने उस भाई के संपर्क में था। पुलिस के एक मुखबिर ने इस बारे में सूचना दी तो पुलिस तुरंत उसके भाई के घर पहुंच गई और सारा सच उगलवा लिया।
पुलिस ने उसे उसके इसी दिल्ली वाले घर से गिरफ्तार कर लिया।