2048 तक एक साल में इतने चुनाव नहीं होंगे
जालंधर/ चंडीगढ़ /नई दिल्ली। गीता वर्मा- साल 2024 को चुनावी वर्ष कहा जा रहा है। इस साल 60 से ज्यादा देशों में चुनाव होने तय हैं। ये साल कई तरह से लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बनने की ओर अग्रसर है। जिन देशों में वोटिंग होनी हैं, उनके वोटर्स सामूहिक रूप से दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दुनिया के तीन सबसे बड़े लोकतंत्रों- भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया में दो अरब से अधिक नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
कई देशों में लोग निर्णायक चुनावों में अपने वोट डालने के लिए तैयार हैं। एक अनुमान के अनुसार, 4 अरब मतदाताओं के वोटिंग डालने की उम्मीद है। इन चुनावों में राष्ट्रपति से लेकर विधानसभा और स्थानीय चुनावों तक के इलेक्शन होने शामिल हैं।

जानकारी के अनुसार, अफ़्रीका के 18, एशिया के 17, उत्तरी अमेरिका के 5, ओशिनिया के 4 और दक्षिण अमेरिका के 2 देशों में राष्ट्रीय चुनाव होंगे। अमेरिका स्थित एक थिंक टैंक इंटीग्रिटी इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 2048 तक एक साल में इतने चुनाव नहीं होंगे।
सबसे पहले बात भारत देश की बात करते हैं। देश की कुल आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है। भारत में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए अप्रैल और मई में लोकसभा चुनाव होने की उम्मीद है। लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। पिछले लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे।
2024 में चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रीय दल हैं -भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस (Congress), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M), बहुजन समाज पार्टी (BSP), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और आम आदमी पार्टी (AAP)। इन पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस चुनाव के मुख्य दावेदार हैं।
कांग्रेस, आप जैसी पार्टियां क्या करती हैं ये तो समय के गर्भ में हैं लेकिन चुनाव को मुख्य रख कर ही लगभग सभी दलों द्वारा कदम उठाये जा रहे हैं या प्लान तैयार किये जा रहे हैं। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो या राहुल गांधी का दूसरी बार यात्रा पर निकलना, निशाना तो एक ही है- लोकसभा चुनाव।

INDIA BLOC में कांग्रेस समेत देश के 26 राजनीतिक दल आए दिन बैठक करते हैं। इंडिया गठबंधन इसीलिए बनाया गया ताकि 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत की हैट्रिक होने से रोकी जा सके। लेकिन आये दिन इंडिया गठबंधन में चल रही खींचतान कोई अच्छा सन्देश नहीं दे रही। बिहार से नीतीश कुमार पलटी मार गए। पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी के भी सुर बदले बदले से नज़र आ रहे हैं।
इस अंदरूनी लड़ाई का फायदा बीजेपी को हो सकता है। जहां भी कमज़ोर कड़ी दिखती है भाजपा अपनी गोटी जमा लेती है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही चुनाव हैं। 8 फरवरी को पाकिस्तान में भी वोटिंग होनी हैं। इंडोनेशिया में 14 फरवरी को लगभग 205 मिलियन लोग मतदान करने के योग्य होंगे। मतदाता दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र के अगले राष्ट्रपति का चयन करेंगे, साथ ही सभी प्रशासनिक स्तरों पर कार्यकारी और विधायी प्रतिनिधियों का चयन करेंगे। वोट देने के योग्य आधे से अधिक लोग 17 से 40 वर्ष की आयु के हैं, और लगभग एक तिहाई 30 वर्ष से कम उम्र के हैं।
उत्तरी मैसेडोनिया में मई 2024 में संसदीय चुनाव हैं। आइसलैंड के राष्ट्रपति चुनाव से लोकतांत्रिक स्पेक्ट्रम में विविधता स्पष्ट होगी, जो पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावी प्रथाओं के प्रतीक के रूप में खड़ा है।

13 जनवरी को ताइवान के मतदान से चीन के साथ संभावित तनाव बढ़ने की चिंता बढ़ गई है। इस बीच, नेल्सन मंडेला की ऐतिहासिक पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को रंगभेद के बाद दक्षिण अफ्रीका में सत्ता छोड़ने की संभावना का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपीय संसद दूर-दराज़ गुटों की निरंतर वृद्धि के लिए तैयार है, और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प और जो बिडेन के बीच भिड़ंत जगजाहिर है।
कुछ चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता पर चिंताएं भी मंडरा रही हैं। 7 जनवरी को हुए बांग्लादेश के संसदीय चुनावों को विवाद का सामना करना पड़ा था क्योंकि मुख्य विपक्षी दल ने चुनावी ढांचे में समझौते का आरोप लगाते हुए चुनावों का बहिष्कार कर दिया था।
2024 का चुनावी कैलेंडर विविध प्रकार के मील के पत्थर प्रस्तुत करता है।
राष्ट्रपति जो बिडेन और डोनाल्ड ट्रम्प की उम्मीदवारी के बारे में अनिश्चितता के बीच, 160 मिलियन पंजीकृत मतदाताओं का घर अमेरिका 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव का गवाह बनेगा।
यूरोप भी एक केंद्र बिंदु होगा क्योंकि यूरोपीय संघ, जिसमें 27 देश शामिल हैं और रूस व यूक्रेन सहित लगभग नौ अन्य देश पूरे वर्ष विभिन्न बिंदुओं पर परिणामी राष्ट्रीय चुनावों के लिए तैयार रहेंगे। विशेष रूप से, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने बोरिस जॉनसन के कार्यकाल के बाद अनिश्चित राजनीतिक परिदृश्य के बीच 2024 के बीच में आम चुनाव की संभावना का संकेत दिया है।
दक्षिण एशिया चुनावी उत्साह के एक हलचल भरे केंद्र के रूप में उभरा है, जिसमें भारत, पाकिस्तान के अलावा मालदीव, श्रीलंका और भूटान चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए तैयार हैं। आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहे श्रीलंका की नज़र 2018 के बाद अपने पहले आम चुनाव पर है।