नई दिल्ली । ‘खतरनाक कुत्तों की 23 नस्लों को पालतू जानवर के रूप में रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है’। कृषि मंत्रालय के पशु कल्याण और पालन विभाग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने यह सिफारिश की है। देखने में आया है कि ये कुत्ते जब किसी को काटते हैं तो मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। कुछ केसों में तो मौत तक हो गई थी। देश भर से ऐसी शिकायत मिलती रहती हैं कि कुत्तों ने आतंक मचा रखा है।
बहुत से बुजुर्गों ने शिकायत की कि वो सुबह शाम टहलना जाना चाहते हैं लेकिन इन कुत्तों के डर से घर में बैठे रहते हैं। बहुत से स्टूडेंट्स की शिकायत है, आतंक के मारे वो ट्युशन और खेलने नहीं जाते।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पशु कल्याण और पालन विभाग की ओर से सभी राज्यों को एक आधिकारिक पत्र भेजा गया जिसमें इन कुत्तों की नस्लों को सूचीबद्ध करने के साथ-साथ उनकी बिक्री की अनुमति देने वाले लाइसेंसों को पंजीकृत न करने के निर्देश भी दिए गए।
विशेषज्ञ समिति का गठन नागरिक समूहों द्वारा इन कुत्तों द्वारा लोगों पर कभी-कभी घातक हमलों की शिकायत के बाद किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय में भी एक याचिका पर विचार चल रहा था जिसमें कुछ नस्लों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया था। उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2023 में कहा था कि वह इस मुद्दे पर तीन महीने में फैसला करेगा।
जिन नस्लों को प्रतिबन्ध किया गया है उनमें पिटबुल टेरियर, टोसा इनु, अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलीरो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबोएल, कांगल, मध्य एशियाई शेफर्ड डॉग, कोकेशियान शेफर्ड डॉग, साउथ मास्टिफ़्स, रॉटवीलर, टेरियर, रोडेशियन रिजबैक, वुल्फ जैसी मिश्रित और क्रॉसब्रीड कुत्तों के अलावा कैनारियो, अकबाश कुत्ता, मॉस्को गार्ड कुत्ता, केन कोरसो और आमतौर पर बैंडोग के रूप में वर्गीकृत कुत्ते शामिल हैं। न तो इनकी सेल हो सकेगी और न ही ब्रीडिंग।
12 मार्च को लिखे और ओपी चौधरी, संयुक्त सचिव, कृषि मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया था कि जिन कुत्तों को पहले से ही पालतू जानवर के रूप में रखा गया है, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि आगे प्रजनन न हो।