मुझे इस ‘Yeah, Yeah, Yeah’ से बहुत एलर्जी है – CJI
CJI ने वकील को सिखाया अदालती शिष्टाचार
नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को एक वकील को अदालती शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया। यह वकील भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग कर रहा था। वकील ने किसी जवाब में YEAH YEAH YEAH बोला तो CJI ने उसे एक महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा, ये कोर्ट है कॉफ़ी शॉप नहीं। यहाँ शब्दों की एक मर्यादा है जो माननी चाहिए।
जब वकील ने अपनी दलीलें पेश करते हुए ‘Yeah, Yeah, Yeah’ कहा, तो चीफ जस्टिस ने उसे तुरंत टोकते हुए कहा, “आपको इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए। यहाँ पर ‘Yeah, Yeah, Yeah’ की जगह ‘Yes, Yes, Yes’ कहना चाहिए।” CJI का यह बयान न केवल वकील के लिए, बल्कि सभी उपस्थित लोगों के लिए एक सीख था कि कोर्ट में संवाद के लिए एक उचित और सम्मानजनक तरीका अपनाना आवश्यक है।
वकील की प्रतिक्रिया
CJI के इस निर्देश पर वकील ने तुरंत माफी मांगी और अपनी दलीलें पेश करना जारी रखा। हालांकि, जैसे ही उसने फिर से जवाब देते वक्त ‘या’ का उपयोग किया, CJI ने उसे फिर से विनम्रता से याद दिलाया कि कोर्ट में ‘या’ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। CJI ने स्पष्ट किया, “यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। मुझे इस ‘या, या, या’ से बहुत एलर्जी है। कोर्ट में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर
वकील ने 2018 में पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ एक इन-हाउस जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। CJI चंद्रचूड़ ने वकील को बताया कि जस्टिस गोगोई अब रिटायर्ड जज हैं और इसलिए कोर्ट इस तरह की जांच का आदेश नहीं दे सकता। CJI ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई समीक्षा याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। इसलिए, आपको अब क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी।” उन्होंने वकील से पूछा, “क्या यह अनुच्छेद 32 की याचिका है? आप प्रतिवादी के रूप में न्यायाधीश के समक्ष जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं?”
जज के खिलाफ याचिका
CJI ने स्पष्ट किया कि जस्टिस गोगोई इस कोर्ट के पूर्व जज थे, और किसी जज के खिलाफ इस तरह की याचिका दायर नहीं की जा सकती। इससे यह बात भी साफ होती है कि न्यायालय में जजों का विशेष सम्मान होता है और उनके खिलाफ याचिका दायर करने की प्रक्रिया में अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है।
वकील की दलीलें
वकील ने अपनी दलील में कहा, “लेकिन जस्टिस गोगोई ने उस बयान पर भरोसा करते हुए मेरी याचिका खारिज कर दी, जिसे मैंने अवैध होने के कारण चुनौती दी थी। मेरी कोई गलती नहीं थी। मैंने गुजारिश की थी कि वे श्रम कानूनों की जानकार किसी बेंच के समक्ष मेरी समीक्षा याचिका पेश करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसे खारिज कर दिया गया।” इस पर CJI ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी याचिका से जस्टिस गोगोई का नाम हटा देना चाहिए और फिर से कोर्ट में इसे पेश करना चाहिए।
अदालती प्रक्रिया का सम्मान
यह घटना न केवल एक विशेष केस के संदर्भ में महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह अदालत में व्यवहार और शिष्टाचार के महत्व को भी दर्शाती है। CJI ने इस बात को स्पष्ट किया कि अदालती प्रक्रिया में शिष्टाचार का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यह वकीलों और अन्य पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि उन्हें कोर्ट में अपनी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखना चाहिए।
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