Jalandhar West : एक Local Party पार्टी का पतन
Jalandhar West : SAD में मचे घमासान ने Party को किया और छोटा
Jalandhar West : सुरजीत कौर ने कुलवंत सिंह मन्नन पर लगाए फ़र्ज़ी Sign के आरोप
जालंधर। Jalandhar West की सीट पर हो रहे घटनाक्रम ने अकाली दल की गैर-राजनीति और अकाली दल के राजनीति में बने रहने के वर्तमान स्वरूप को स्पष्ट कर दिया है। यह नेतृत्वविहीन पार्टी का प्रतिबिंब है। खींचतान की राजनीति। इस खींचतान में कोई भी कभी भी टूट सकता है या फिर जो खुद-ब-खुद गांठ बन रही वो कभी भी न खुले।
दूसरी ओर देर शाम तक BSP को साथ लेकर चलने की भी बात सच हो गई, अब अकाली दूसरी पार्टी के उमीदवार के लिए मांगेगे वोट
Jalandhar West : बयानबाजी से नहीं बचेगा सम्मान, आरोपों से धूल साफ नहीं होगी
Jalandhar West से अकालियों की अर्ध-उम्मीदवार सुरजीत कौर की जालंधर में की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से यह साफ हो गया है कि अकाली दल की अंदरूनी बगावत, ‘पड़ोसियों की छिपी कहा सुनी’ अब खुलकर सियासी बाजार में आ गई है। इस चौराहे के बीच एक कुआँ है। अकाली दल की अर्ध-राजनीतिक बिल्ली के थैले से बाहर आने से पार्टी के गैर-राजनीतिक धरना स्पष्ट रूप से सामने है। बादल साहब के जाने के बाद से पार्टी अब सबसे निचले पायदान पर है।
इसके नीचे शून्य है, चौराहे का कुआँ, जिसमें अकाली दल के बड़े चेहरे उदास होकर लटकते, फिर गायब होते दिखेंगे।
Jalandhar West : अकाली दल से निष्कासित उम्मीदवार सुरजीत कौर, उधार लिए गए चुनाव चिन्ह के साथ प्रेस क्लब जालंधर में आमने-सामने हुईं। बार-बार कहा गया कि सुखबीर सिंह बादल ने खुद उम्मीदवारी के लिए फोन किया था। यह मिलनी अकाली या कहें अर्ध-अकाली उम्मीदवार के लिए रोलर कोस्टर साबित हो सकती है, पार्टी अपनी छवि भी नहीं बचा पाएगी।
Jalandhar West : सारी बातों में सुरजीत कौर की आवाज कम, आसपास के लोगों का शोर ज्यादा था।
Jalandhar West : अकाली दल के पास हैं अतीत की कहानियाँ
हर कोई एक-दूसरे को रौंदकर ऊपर उठने को आतुर है। ऐसे ऊपर उठने के चक्कर में नेताओं के पैर उखड़ गए हैं। पार्टियों की विचारधारा स्वर्ग सिधार गई है। इस कांफ्रेंस में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधि अकाली दल के कम, विरोधी दल का कार्यकर्ता ज्यादा लग रहे थे। अकाली दल के पास अतीत की कहानियाँ हैं, अतीत के चेहरे हैं, लेकिन भविष्य? भविष्य उज्ज्वल नहीं है।
इन सबके बीच Jalandhar West सीट पर अकाली दल में मचे घमासान ने पार्टी को और छोटा कर दिया है। ये दल पार्टी कार्यालयों तक ही सीमित रह गया है।
यही वजह है कि पिछले चुनावों के दौरान भी हरसिमरत कौर बादल की सीट को छोड़ कर कहीं और प्रचार नहीं किया गया
अकाली नेतृत्व जमीनी स्तर पर अपनी स्थिति खो चुका है और इसलिए लोगों के बीच जाने से कतराता है। अकाली दल वर्तमान के दाग तो नहीं धो सका, लेकिन दाग साफ करने की कोशिश में हाथ और गंदे करवा लिए।
Jalandhar West : मन्नन को बीजेपी का एजेंट बताया
सुरजीत कौर, राजपाल और उनके साथियों ने सीधे तौर पर जालंधर पार्टी अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुलवंत सिंह मन्नन और उनके साथी कांग्रेस के साथ मिले हुए हैं और ये सब जानते हैं कि मन्नन ने किस तरह से जमीनों पर कब्जा किया है। फिर उन्होंने मन्नन को बीजेपी का एजेंट बताते हुए कहा कि वह अकाली कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल करा रहे हैं।
आगे बताया गया कि कैसे मन्नन या उसके साथियों ने जाली हस्ताक्षर किए, असंवैधानिक रूप से नाम वापस लेने के लिए कागजात जमा किए, उन पर बैठने के लिए दबाव डाला, चुनाव में भाग न लेने के लिए दबाव डाला, उन्हें पैसे का लालच दिया आदि।
राजपाल ने कहा कि हाईकमान बीबी जागीर कौर को बगावत के चलते बाहर करें, हमारा नाम क्यों काटा जा रहा है, लेकिन सुरजीत कौर ने कहा कि जागीर कौर हमारे साथ हैं, वह बराबर प्रचार करेंगी। आज की राजनीति की हकीकत हैकौन ‘किसके साथ’।
Jalandhar West : अमृतपाल के माता-पिता से समर्थन मांगा
कुल मिलाकर यह कांफ्रेंस एक गैर-राजनीतिक भाषण से अधिक कुछ नहीं थी। किसी ने भी उम्मीदवारी के वास्तविक कारण और निर्वाचन क्षेत्र के लिए योजनाओं का उल्लेख नहीं किया। लेकिन यह समय राजनीति का है। पहले तो यह कि राजपाल ने मन्नन पर निशाना साधते हुए उक्त बयान दिया, फिर यह भी कि उन्होंने मन्नन को इस्तीफा देने से बचाया और मन्नन को समर्थन देने की बात कही। उल्लेखनीय बात यह है कि समर्थन वापस लेते ही मन्नन भ्रष्ट हो गये। साथियों ने पहले इस पर आवाज क्यों नहीं उठाई, क्या वह पहले भ्रष्ट नहीं थे? सीटी बज चुकी है।
जब जालंधर पश्चिम की उम्मीदवार सुरजीत कौर को अंत में बोलने का मौका मिला, तो उन्होंने भाई अमृतपाल के माता-पिता से समर्थन मांगा, फिर अचानक उन्हें भाई सरबजीत का नाम याद आ गया। यह तो दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह नाम सुरजीत कौर का नहीं बल्कि उसके आसपास के लोगों का है।
Jalandhar West : पत्रकारों के पूछने पर प्रतिनिधियों ने कहा कि वोट मांगने कोई किसी के भी घर जा सकता है। क्या ये इशारा निजी है या फिर अकाली दल के नाराज बागी गुट का, भविष्य बताएगा।
कुल मिलाकर यह कांफ्रेंस वर्तमान राजनीति, बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप और भविष्य की योजनाओं का बुलबुला ही था। सुरजीत कौर के सहयोगियों के प्रतिनिधि राजपाल सिंह ने मन्नन या अन्य सहयोगियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के सवाल पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
ऐसा सोचा जा सकता है कि दोबारा वापसी करने या अकाली दल के साथ बने रहने के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा।
Jalandhar West : दिखाए गए दस्तावेज़ | अर्जी, फर्जी या हाईकमान की मर्जी
दिखाए गए दस्तावेज़ भी अपनी कहानी खुद बयां करते हैं। पार्टी चिन्ह पर सुखबीर सिंह बादल के हस्ताक्षर, नामांकित उम्मीदवार के हस्ताक्षर के नीचे विधिवत कुलवंत सिंह का नाम। दिन 26/06/24 को पेपर वापस लेने के आवेदन पर सुरजीत कौर के हस्ताक्षर, जिसे सुरजीत कौर और उनके सहयोगियों ने फर्जी बताया।
अर्जी, फर्जी या हाईकमान की मर्जी, ये तो समय बताएगा।
Jalandhar West : कुछ प्रश्न अभी भी सुलग रहे हैं
बीजेपी की ओर जा रहा अकाली कैडर कह रहा, साथ हैं, ये बात सच निकली ?
BSP के समर्थन के सवाल का जवाब मिल चुका है, जानना यह है कि पंजाब में ये समर्थन 2 पार्टिओं का है या 3 का ?
पार्टी ही विरोधी है, लेकिन उसके नाम पर लड़ने की राजनीति समझ नहीं आ रही?
एक खास समुदाय को साथ मिलाने की हल्की कोशिश?
क्या एक और अकाली दल का जन्म होगा?
आम जनता ऐसी पार्टी नीतियों और उम्मीदवारों से क्या उम्मीद करती है?
सबसे अहम सवाल यह है कि क्या पंजाब की अर्ध पंथक राजनीति अब ‘नए नेता’ के इर्द-गिर्द घूम रही है या फिर पंथक राजनीति से पुराने नाम ही मिट जाएंगे।
Jalandhar West के बहाने:
अंततः कुल मिलाकर अकाली दल के सभी छोटे-बड़े नेता, प्रधान अपना प्रभाव खो चुके हैं। गली मोहल्लों की राजनीति ने राजनीतिक दल को मुहल्ला अध्यक्षों की बयानबाजी बना दिया है। अकाली दल का पतन ‘चिंता’ का विषय नहीं है, चिंता इस बात की है कि एक क्षेत्रीय पार्टी, अपने क्षेत्र से ही छू मंतर हो जायेगी।