साथी पार्टियों का आरोप, इलेक्शन में इंडिया गठबंधन कहीं दिखा ही नहीं
नई दिल्ली – पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से चार के नतीजे आ चुके हैं। तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत हुई है, वहीं तेलंगाना में कांग्रेस पहली बार सरकार बनाएगी। कहां-कहां चूक हुई, इस पर चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया के घटक दलों की एक बैठक बुलाई है जो छह दिसंबर को दिल्ली में होगी।
इस बैठक का महत्व अब और भी बढ़ गया है।
एक्सपर्ट का मानना है कि इन नतीजों का इस गठबंधन और इसके भविष्य पर असर पड़ेगा। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि इंडिया के घटक दलों ने चुनाव के दौरान कांग्रेस के रवैए पर सवाल उठाए हैं। छोटी पार्टियों को साथ लेकर चलने का जो फ़ायदा मिल सकता था, उसे गवां दिया गया। इंडिया बनने पर एक प्रेशर ज़रूर कायम हुआ था पर कांग्रेस उसका लाभ लेने में नाकाम रही। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा भी विरोधियों के लिए चुनौती बन गई थी पर उसको भुनाना भूल गई कांग्रेस।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने चुनावों के दौरान जो बातें की थीं, वे खोखली साबित हुईं। उन्होंने गठबंधन की उपेक्षा का भी आरोप लगाया ।
उन्होंने कहा, “छह तारीख को कांग्रेस अध्यक्ष ने इंडिया अलायंस को खाने पर बुलाया है। चलिए तीन महीने बाद उनको इंडिया एलायंस दोबारा याद आया। अब देखते हैं, उस पर क्या बात होती है। “
इसी तरह जेडीयू ने भी कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि इन चुनावों में विपक्ष के तौर पर इंडिया गठबंधन कहीं था ही नहीं। सोशलिस्ट पार्टियाँ इन राज्यों में थीं, लेकिन कांग्रेस ने कभी इंडिया गठबंधन के अपने दूसरे सहयोगियों से न तो सलाह ली और न ही उनसे राय मांगी।
उन्होंने ये भी कहा कि ‘चुनाव प्रचार के दौरान भोपाल में इंडिया गठबंधन की एक रैली होनी थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने ये रैली नहीं करने का फ़ैसला किया। ‘
इंडिया गठबंधन पहले ही दिन से कई चुनौतियों से जूझ रहा है. जैसे इसके घटक दल कई राज्यों में एक दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं और वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव भी लड़ते रहे हैं.
इसके साथ ही विभिन्न मुद्दों और विषयों पर उनकी राय और स्टैंड भी अलग है.
बीबीसी की खबर के मुताबिक, चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सीमा चिश्ती कहती हैं कि इंडिया गठबंधन और कांग्रेस ने इन चुनावों में एक मौका गंवाया है। उनकी नज़र में इन चुनावों में विपक्षी दलों को साथ लेने और एक राजनीतिक बदलाव की पहल की जा सकती थी, जिससे इंडिया गठबंधन की भावना को मजबूती मिलती।