6 लोगों की ‘रैट-माइनिंग’ टीम को किया लीड
उत्तरकाशी- सिलकियारा टनल में फसें 8 राज्यों के 41 मजदूरों को मुन्ना कुरैशी और उनकी टीम ने सुरक्षित निकाल लिया। इस काम को करने में विदेशों से आई टीम और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी भी असफल रही। नॉर्वे और अमेरिका से आई टीम भी ये काम नहीं सकीं थी। अंत में खुदाई की रवायती विधि काम आई। मुन्ना कुरैशी 5 साथियों के साथ पाइप के ज़रिये सुरंग में पहुंचे और हाथ से खुदाई की। कुछ घंटों में ही वह मजदूरों तक पहुंच गए।
उनके एक साथी नासिर हुसैन का कहना है कि जैसे ही उन्हें मजदूर दिखे, उन्होंने उन्हें गले लगा लिए। वो परिवार जैसे लगे।
क्या होती है रैट – माइनिंग
रैट होल माइनर भारत के उत्तर पूर्वी इलाकों में रहने वाले लोग हैं। यह छोटी सुरंग की मदद से खदान के अंदर से ख़निज ढून्ढ लातें हैं। मेघालय, जोवाई और चिरापुंजी में इस तरह से खुदाई की जाती है। खुदाई करने वाले हाथ में छोटी टोकरी और छोटे उपकरण रखते हैं। वह धीरे-धीरे अपना काम करते हुए आगे बढ़ते हैं।
2014 में हो गई थी बैन
एन जी टी (National Green Tribunal) ने 2014 अप्रैल में खुदाई के दौरान खतरों को देखते हुए बैन कर दिया था। सरकारें और निजी कंपनियां एक तरह से इन खनिजों पर एकाधिकार चाहती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बैन ये कहते हुए खत्म कर दिया कि जमीन के मालिकों का ज़मीन में मजूद खनिजों पर भी अधिकार है। ऐसे में वो खुदाई कर सकतें हैं।
-अनिकेत शर्मा