छोटा डिवाइस, बड़ा असर: Mobile से जुड़े नींद और मस्तिष्क के खतरे”
Jalandhar , 19 July (Compiled by Mehak ) आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में स्मार्टफोन इंसान का सबसे नज़दीकी साथी बन चुका है। सुबह आँख खुलने से लेकर रात की नींद तक, मोबाइल हमारे साथ रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोते समय मोबाइल को तकिए के नीचे रखना आपके स्वास्थ्य के लिए कितना ख़तरनाक हो सकता है?
विशेषज्ञों की मानें तो Mobile Phone से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) तरंगें दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। रातभर सिर के क़रीब मोबाइल रखने से नींद की गुणवत्ता गिरती है, सिरदर्द, बेचैनी, और अनिद्रा जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
पहले जब नींद और आराम का मतलब था सुकून
पहले के समय में, नींद को एक पवित्र प्रक्रिया माना जाता था। लोग रात को शांति, अंधेरे और सुकून के बीच सोते थे। किसी प्रकार का कृत्रिम प्रकाश या तकनीक शरीर के पास नहीं होती थी। नींद केवल शरीर के आराम का नहीं, बल्कि मस्तिष्क के “रीसेट” होने का भी समय होती थी।
लेकिन समय के साथ मोबाइल फोन का आगमन हुआ। पहले यह सिर्फ कॉल और मैसेज के लिए था। फिर सोशल मीडिया, गेम्स, न्यूज, और 24×7 कनेक्टिविटी ने इसे हमारे जीवन का केंद्र बना दिया। और धीरे-धीरे मोबाइल हमारे बिस्तर में घुस आया।
नींद चुराता है आपका मोबाइल
नींद से जुड़ी समस्याओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि सोते समय मोबाइल का ब्लू लाइट आपकी बॉडी की नेचुरल स्लीप साइकिल को बिगाड़ देती है। तकिए के नीचे रखे मोबाइल की छोटी-छोटी नोटिफिकेशन की वाइब्रेशन भी गहरी नींद में खलल डालती है।

रेडिएशन भी एक छिपा खतरा हैं।
हालाँकि Mobile फोन से निकलने वाला रेडिएशन “नॉन-आयोनाइजिंग” होता है, लेकिन कई रिसर्च ये संकेत देती हैं कि लगातार लंबे समय तक मोबाइल को सिर के पास रखने से दिमाग की कोशिकाओं पर असर पड़ सकता है। कुछ स्टडीज़ मोबाइल रेडिएशन को नींद से जुड़ी बीमारियों और याददाश्त की समस्या से भी जोड़ती हैं।
मोबाइल फोन लगातार रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) तरंगें छोड़ते हैं। जब ये सिर के बहुत क़रीब होता है, खासकर तकिए के नीचे, तो ये तरंगें आपकी खोपड़ी और मस्तिष्क पर असर डाल सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी 2011 में मोबाइल रेडिएशन को “संभावित कार्सिनोजेनिक (कैंसरजनक)” की श्रेणी में रखा था।
तो क्या करें?
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोते समय मोबाइल को कमरे में थोड़ी दूरी पर रखें। यदि अलार्म के लिए मोबाइल ज़रूरी है तो “एयरप्लेन मोड” ऑन करें और उसे तकिये से दूर किसी टेबल पर रखें।
नींद को हल्के में न लें , छोटी सी आदत, बड़ा फ़र्क
नींद केवल आराम नहीं, बल्कि मानसिक शांति, हार्मोनल बैलेंस, और इम्यून सिस्टम की मरम्मत का समय है। मोबाइल फोन से निकलने वाली अनदेखी ऊर्जा और लाइट आपके शरीर की इस प्राकृतिक क्रिया में बाधा बन रही है।
आज मोबाइल हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, लेकिन अगर हम सोते समय इसकी सही जगह तय कर लें, तो न केवल अच्छी नींद ले सकते हैं, बल्कि अपने मस्तिष्क को भी सुरक्षित रख सकते हैं
